वैयक्तिक भिन्नता का प्रमुख आधार है – – वंशानुक्रम तथा पर्यावरणवैयक्तिक विभिन्नता का कारण है – – वंशानुक्रमनिम्नलिखित कारण व्यक्तिगत भेद के हैं, सिवाय – – शिक्षा व्यवस्थाव्यक्तिगत भेद के कारण है – – वंशानुक्रम और वातावरणव्यक्तिगत भेद का यह कारण नहीं है – – जनसंख्या वृद्धि– ”व्यक्तिगत विभिन्नता में सम्पूर्ण व्यक्तित्व का कोई भी ऐसा पहलू सम्मिलित हो सकता है, जिसका माप किया जा सकता है।” यह कथन किसका है? – – स्किनर का”अन्य बालकों की विभिन्नताओं के मुख्य कारणों को प्रेरणा, बुद्धि, परपिक्वता, पर्यावरण सम्बन्धी उद्दीपन की विभिन्नताओं द्वारा व्यक्त किया जा सकता है।” यह कथन किसका है – – गैरिसन व अन्य का”विद्यालय का यह कर्तव्य है कि वह प्रत्येक बालक के लिए उपयुक्त शिक्षा की व्यवस्था करे, भले ही वह अन्य सब बालकों से कितना ही भिन्न क्यों न हो।” किसने लिखा है? – – क्रो एवं क्रो नेअसामान्य व्यक्तित्व वाले बालक होते हैं – – प्रतिभाशाली”भय अनेक बालकों की झूठी बातों का मूल कारण होता है।” यह कथन किस मनोवैज्ञानिक का है – – स्ट्रैंग काप्रतिभाशाली बालकों की बुद्धिलब्धि होती है – – 130 से अधिकपिछड़े बालक वे हैं – – जो किसी बात को बार-बार समझाने पर भी नहीं समझते हैं।प्रतिभाशाली बालक की विशेषता इनमें से कौन-सी है? – – साहसी जीवन पसन्द करते हैं– ,– खेल में अधिक रुचि लेते है– ,– अमूर्त विषयों में रुचि लेते हैं– ,”शैक्षिक पिछड़ापन अनेक कारणों का परिणाम है। अधिगम में मन्दता उत्पन्न करने के लिए अनेक कारण एक साथ मिल जाते हैं। यह कथन किसने दिया है – – कुप्पूस्वामी ने”कोई भी बालक, जिसका व्यवहार सामान्य सामाजिक व्यवहार से इतना भिन्न हो जाए कि उसे समाज विरोधी कहा जा सके, बाल-अपराधी है।” यह कथन किसका है – – गुड काबाल-अपराध के प्रमुख कारण है – – आनुवंशिक कारण– ,– शारीरिक कारण– ,– मनोवैज्ञानिक कारणसमस्यात्मक बालकोंके प्रमुख प्रकारों में किसको सम्मिलित नहीं करेंगे? – – अनुशासन में रहने वाले बालक कोमन्दबुद्धि बालक की स्किनर के अनुसार कौन-सी विशेषता है? – – दूसरों को मित्र बनाने की अधिक इच्छा– ,– आत्मविश्वास का अभाव– ,–संवेगात्मक और सामाजिक असमायोजनप्रतिभावान बालकों की पहचान किस प्रकार की जा सकती है – – बुद्धि परीक्षा द्वारा– ,–अभिरूचि परीक्षण द्वारा– ,– उपलब्धि परीक्षण द्वाराप्रतिशाली बालकों की समस्या है – – गिरोहों में शामिल होना– ,– अध्यापन विधियां– ,– स्कूल विषयों और व्यवसायों के चयन की समस्या
- निम्नलिखित में समस्यात्मक बालक कौन है – – चोरी करने वाले बालक
- बालकों के समस्यात्मक व्यवहार का कारण नहीं है – – मनोरंजन की सुविधा
- वंचित वर्ग के बालकों के अन्तर्गत बालक आते हैं – – अन्ध व अपंग बालक– ,– मन्द-बुद्धि व हकलाने वाले बालक– ,– पूर्ण बधिर या आंशिक बधिर
- पिछड़ा बालक वह है जो – ”अपने अध्ययन के मध्यकाल में अपनी कक्षा कार्य, जो अपनी आयु के अनुसार एक कक्षा नीचे का है, करने में असमर्थ रहता है।” उक्त कथन है – – बर्ट का
- ”कुशाग्र अथवा प्रतिभावान बालक वे हैं जो लगातार किसी भी कार्य क्षेत्रमें अपनी कार्यकुशलता का परिचय देता है।” उक्त कथन है – – टरमन का
- प्रतिभावान बालकों में किस अवस्था के लक्षण शीघ्र दिखाई देते हैं – – बाल्यावस्था के
- प्रतिभाशाली बालकों की समस्या निम्न में से नहीं है – – समाज में समायोजन
- प्रतिभाशाली बालक होते हैं – – जन्मजात
- विकलांग बालकों के अन्तर्गत आते हैं– – नेत्रहीन बालक– ,– शारीरिक-विकलांग बालक– ,– गूंगे तथा बहरे बालक
- विद्यालय में बालकों के मानसिक स्वास्थ्य को कौन-सा कारक प्रभावित करता है? – – मित्रता
- मानसिक रूप से पिछड़े बालकों की विशेषता होती है – – संवेगात्मक रूप से अस्थिर– ,– रुचियां सीमित होती है– ,– निरन्तर अवयवस्था का होना।
- मानसिक रूप से पिछड़े बालकों की पहचान निम्न में से कर सकते हैं – – बुद्धि परीक्षण– ,–उपलब्धि परीक्षण– ,– मन्द बुद्धि बालकों की विशेषताओं को कसौटी मानकर
- ”वह बालक जो व्यवहार के सामाजिक मापदण्ड से विचलित हो जाता है या भटक जाता है बाल अपराधी कहलाता है।” उक्त कथन है – – हीली का
- शारीरिक रूप से विकलांग बालक निम्न में से नहीं होते हैं –– स्वस्थ
- सृजनशील बालकों का लक्षण है – – जिज्ञासा
- मन्द-बुद्धि बालक की विशेषता नहीं होती है– , जो कि – – बुद्धि-लब्धि 105 से 110 के बीच होना।
- – ”परामर्श का उद्देश्य है छात्र को अपनी विशिष्ट योजनाओं और उचित दृष्टिकोण का विकास करने के समाधान में सहायता देना।– ” यह कथन है – – जे.– सी. अग्रवाल का
- समायोजन मुख्य रूप से – – व्यक्ति की आन्तरिक शकितयों पर निर्भर होता है,– पर्यावरण की अनुकूलता पर निर्भर होता है।
- समस्यात्मक बालक के लक्षण है – – विशेष प्रकार की शारीरिक रचना
- – ”सृजनात्मक नई वस्तु का सृजन करने की योग्यता है। व्यापक अर्थ में– , सृजनात्मक से तात्पर्य– , नए विचारों एवं प्रतिभाओं के योग की कल्पना से है तथा (जब स्वयं प्रेरित हों– , देसरे का अनुकरण न करें) विचारों का संश्लेषण हो और जहां मानसिक कार्य केवल दूसरों के विचार का योग न हो।– ” उपर्युक्त कथन है – – जेम्स ड्रेवर का
- सृजनात्मक योग्यता वाले बालकों की बुद्धि – – प्रखर होती है
- प्रतिभावान बालकों की पहचान किस प्रकार की जा सकती है – – बुद्धि परीक्षा द्वारा,– अभिरूचि परीक्षण द्वारा,– उपलब्धि परीक्षण द्वारा
- प्रतिभाशाली बालकों की समस्या है – – गिरोहों में शामिल होना,– अध्यापन विधियां,– स्कूल विषयों और व्यवसायों के चयन की समस्या
- निम्नलिखित में से विशिष्ट योग्यता की मुख्य विशेषता है – – विशिष्ट योग्यता व्यक्ति में भिन्न-भिन्न मात्रा पाई जाती है,– इस योग्यता को प्रयास द्वारा अर्जित किया जा सकता है।
- – ”किसी व्यक्ति को कौन-से विषय पढ़ने चाहिए– , कौन-से व्यवसाय करने चाहिए– , किस क्षेत्र में उसे अधिक सफलता मिल सकती है। अभिरुचि निर्देशन करने के लिए अभिरुचियों के मापन की आवश्यकता पड़ती है। अभिरुचि परीक्षण का मुख्य अभिप्राय मानवीय पदार्थ का उत्तम प्रयोग करना है और अतिशय को रोकनाहै।– ” उपर्युक्त कथन है – – एन. तिवारी का
- अन्धे बालकों को शिक्षण दिया जाता है – – ब्रैल पद्धति द्वारा
- निम्नलिखित में समस्यात्मक बालककौन है – – चोरी करने वाले बालक
- बालकों के समस्यात्मक व्यवहार का कारण नहीं है – – मनोरंजन की सुविधा
- ब्रोन फ्रेन बेनर ने समाजमिति विधि किस तथ्य का विवरण एवं मूल्यांकन माना है – – सामाजिक स्थिति,– सामाजिक ढांचा, – सामाजिक चेष्टा
- जेविंग्स के अनुसार समाजमिति विधि है – – सामाजिक ढांचे की सरलतम प्रस्तुति,– सामाजिक ढांचे की रेखीय प्रस्तुति
- समाजमिति विधि में तथ्यों के प्रस्तुतीकरण एवं व्यवस्था के लिये प्रयोग की जाने वाली पद्धति है – – समाज चित्र,– समाज सारणी
- समाजमिति विधि के जन्मदाता है – – मौरेनो
- Who Shall Sevive पुस्तक के लेखक हैं – – मौरेनो
- वी.वी.अकोलकर के अनुसार सामाजिक प्रविधि है – – समूह की संरचना की अध्ययन प्रविधि,–समूह का स्तर मापने की प्रविधि
- – ‘एक बालक प्रतिदिन कक्षा से भाग जाता है।– ‘वह बालक है – – पिछड़ा बालक
- रेटिंग एंगल एवं प्रश्नावली किस प्रविधि से सम्बन्धित है – – मूल्यांकन विधि से
- व्यक्ति अध्ययन विधि में प्रमुख भूमिका होती है – – सूचना की
- – ”व्यक्ति अध्ययन विधि का मुख्य उद्देश्य किसी कारण का निदान है।– ” यह कथन है – – क्रो एण्ड क्रो
- व्यक्ति अध्ययन विधि में किस प्रकार की सूचनाओं की आवश्यकता होती है – – पारिवारिक,–सामाजिक,– सामान्य एवं शारीरिक
- प्रतिभाशाली बालकों की शिक्षण विधि है – – गतिवर्द्धन,– सम्पन्नीकरण,– विशिष्ट कक्षाएं
- – ”सृजनात्मक से आशय पूर्ण अथवा आंशिक रूप से तीन वस्तु के उत्पादन से है।– ” उक्त कथन है – – रूसो का
- निम्न में से पलायनशीलता के कारण हैं – – कल्पना की अधिकता,– कुसमायोजन,– दोषपूर्ण शिक्षण पद्धति
- – ”बालकों में सृजनाशीलता के विकास हेतु सकारात्मक अभिवृत्ति के निर्माण में विद्यालय की महत्वपूर्ण भूमिका है।– ” उक्त कथन है – – डॉ. एस. एस. चौहान का
- विद्यालयों में तीव्र एवं मन्द-बुद्धि बालकों के लिए निम्न में से शैक्षणिक व्यवस्था होनी चाहिए – – अवसर की समानता,– पाठ्यक्रम में समृद्धि,–अहमन्यता को रोकना
- विशिष्ट बालक में प्रमुख विशेषता है – – साधारण बालकों से भिन्न गुण एवं व्यवहार वाला बालक
- प्रतिभाशाली बालक की विशेषता है – – तर्क,–स्मृति,– कल्पना,– आदि मानसिक तत्वों का विकास। उदार एवं हॅसमुख प्रवृत्ति के होते है,–दूसरों का सम्मान करते हैं,– चिढ़ाते नहीं हैं
- विशिष्ट बालकों की श्रेणी में आते हैं केवल – – प्रतिभाशाली बालक,– पिछड़े बालक,–समस्यात्मक बालक
- शारीरिक रूप से अक्षम बालकों को किस श्रेणी में रखते हैं – – विकलांग
- – ”प्रतिभाशाली बालक शारीरिक गठन– ,सामाजिक समायोजन– , व्यक्तित्व के गुणों– ,विद्यालय उपलब्धि– , खेल की सूचनाओं और रुचियों की विविधता में औसत बालकों से श्रेष्ठ होते हैं।– ” यह कथन है – – टरमन एवं ओडम का
- निम्नलिखित में कौन-सा तथ्य सांख्यिाकीय विधि से सम्बन्धित है – – संकलन,– वर्गीकरण,–विश्लेषण
- टरमन के अनुसार प्रतिभाशाली बालक की बुद्धि-लब्धि कितने से अधिक होती है – – 140
- – ”जो बालक कक्षा में विशेष योग्यता रखते हैं उनको प्रतिभाशाली कहते हैं।– ” यह कथन है – – क्रो एवं क्रो का
- चोरी– , झूठ व क्रोध करने वाला बालक है – – समस्यात्मक
- – ”जिस बालक की शैक्षिक लब्धि85 से कम होतीहै उसे पिछड़ा बालक कहा जा सकता है।– ”यह कथन है – – बर्ट का
- – ”जिस बालक की बुद्धि-लब्धि 70 से कम होती है उसको मन्द-बुद्धि बालक कहते हैं।– ” यह कथन है – – क्रो एवं क्रो का
- – ”एक व्यक्ति जिसमें कोई इस प्रकार का शारीरिक दोष होता है जो किसी भी रूप में उसे सामान्य क्रियाओं में भाग लेने से रोकता है या उसे सीमित रखता है– , उसको हम विकलांग कह सकते हैं।– ” यह कथन है – – क्रो एवं क्रो का
- – ”प्रतिभाशाली बालक 80 प्रतिशत धैर्य नहीं खोते– , 96 प्रतिशत अनुशासित होते हैं तथा 58 प्रतिशत मित्र बनाने की इच्छा रखते हैं।– ” यह कथन है – – विटी का
- ‘Survey of the Education of Gifted Children’नामक पुस्तक लिखी है – – हैविंगहर्स्ट ने
- ‘The Causes and Treatment of Backwardness’ नामक पुस्तक लिखी है – – बर्ट ने
- प्रतिभाशाली बच्चों की पहचान की जा सकती है – – विधिवत अवलोकन द्वारा– , प्रमापीकृत परीक्षणों द्वारा
- समस्यात्मक बालकों की शिक्षा के समय निम्न बातें ध्यान में रखनी चाहिए – – बालकों को मनोरंजन के उचित अवसर दिये जाएं। शिक्षकों का मधुर व सहायोगात्मक व्यवहार
- ‘Introduction of Psychology’ नामक पुस्तक लिखी है – – हिलगार्ड व अटकिंसन ने
- प्रतिभाशाली बालकों को कहा जाता है – – श्रेष्ठ बालक– , तीव्र सीखने वाले, निपुण बालक
- जिस सहानुभूति में क्रियाशीलता होती है, वह है – – निष्क्रिय
- बालक को सामाजिक व्यवहार की शिक्षा दी जा सकती है – – शारीरिक गतियों से
- दूसरे व्यक्तियों में संवेग देखकर हम उसका करने लगते है – – घृणा
- निष्क्रिय सहानुभूति होती है – – मौखिक व कृत्रिम
- प्रतिभावान बालकों की पहचान करने के लिए हमें सबसे अधिक महत्व – – वस्तुनिष्ठ परीक्षणों को देना चाहिए।
- ”निर्देशन वह सहायता है जो एक व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति को विकल्प चुनने एवं समायोजन प्राप्त करने तथा समस्या हल करने के लिए दी जाती है।” उक्त कथन है – – जोन्स का
- ”कक्षा में जो सम्बन्धों के प्रतिमान अथवा समूह परिस्थिति होती है वह सीखने पर प्रभाव डालती है।” उक्त कथन है – – बोवार्ड का
- ”कक्षा-शिक्षण में जो सबसे महत्वपूर्ण प्रभाव हैं; वह दूसरों के साथ अन्त:क्रिया करना है।” उक्त कथन है – – रिट का
- निम्न में से निर्देशन दिया जा सकता है – – अध्यापक को– , डॉक्टरों को छात्रों को
- जो निर्देशन एक व्यक्ति को उसकी व्यावसायिक तथा जीविका में उननति सम्बन्धी समस्याओं को हल करने के लिए उसकी व्यक्तिगत विशेषताओं को उसके जीविका सम्बन्धी अवसरों के सम्बन्ध में ध्यान रखते हुए दिया जाता है, वह कहलाता है – – व्यावसायिक निर्देशन
- ”प्रभावशाली बालक वे होते हैं जिनका नाड़ी संस्थान श्रेष्ठ होता है।” उक्त कथन है – – सिम्पसन का– , तयूकिंग का
- ”ऐसे व्यक्ति जिनमें ऐसा शारीरिक दोष होता है जो किसी भी रूप में उसे साधारण क्रियाओं में भाग लेने से रोकता है या उसे सीमित रखता है, ऐसे व्यक्ति को हम विकलांग व्यक्ति कह सकते हैं।” उक्त कथन है – – क्रो एवं क्रो का
- सृजनात्मक बालक की प्रकृति होती है – – सृजनात्मक बालक सदैव सफलता की ओर उन्मुख रहते हैं।
- मन्दगति से सीखने वाले बालकों की शिक्षा के लिए क्या कदम उठाना चाहिए – – आवासीय विद्यालय– , विशेष विद्यालय, विशेष कक्षा
- ”विशिष्ट बालक वह है जो मानसिक, शारीरिक व सामाजिक विशेषताओं से युक्त होते हैं”, उक्त कथन है – – क्रिक का
- बालापराध का कारण दूषित वातावरण भी होता है। दूषित वातावरण से आशय है – – वेश्यालय– , शराबखाना, जुआघर
- गम्भीर मन्दितमना वाले बालकों की शिक्षा-लब्धि होती है – – 19 से कम
- निम्न में से पिछड़े बालक की समस्या है – – स्कूल सम्बन्धी समस्याएं– , संवेगात्मक समस्याएं, सामाजिक समस्याएं
- साधारण मन्दिमना वाले बालकों की शिक्ष-लब्धि होती है – – 51-36
- पिछड़े बालकों को शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी करने के लिए क्या करना चाहिए – – पिछड़ेपन के कारणों की खोज करना– , व्यक्तिगत ध्यान, पाठान्तर क्रियाओं की व्यवस्था
- ”बालकों में सृजनशीलता के विकास हेतु सकारात्मक अभिवृत्ति के निर्माण में विद्यालय की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।” उक्त कथन है – – डॉ. एस.एस. चौहान का
- ”सृजनात्मक वह कार्य है जिसका परिणाम नवीन हो और जो किसी समय किसी सकूह द्वारा उपयोगी या सन्तोषजनक रूप में मान्य हों।” यह परिभाषा किसने प्रतिपादित की – – स्टेन ने
- ”मानसिक स्वास्थ्य सम्पूर्ण व्यक्तित्व का सामंजस्यपूर्ण कृत्य है।” यह कथन किस मनोवैज्ञानिक का है – – हैडफील्ड का
- मानसिक रूप से पिछड़े बालकों की बुद्धि-लब्धि मानी गई है – – 70 से 80 के बीच
- शारीरिक अस्वस्थता, काम प्रवृत्ति का प्रवाह तथा मन्द गति से विकास बालापराध के किस कारण के अन्तर्गत आते हैं – – व्यक्तिगत कारण
- बाल्यावस्था में बालक दृष्टिकोण अपनाना आरम्भ करता है – – यथार्थवादी दृष्टिकोण
- सृजनात्मकता का अर्थ है – – सृजन या रचना सम्बन्धी योग्यता
- ”सृजनात्मकता मौलिकपरिणामों को अभिव्यक्त करने की मानसिक प्रक्रिया है।” यह कथन है – – क्रो एवं क्रो का
- सृजनात्मकता की विशेषता कौन-सी नहीं है – – केन्द्रानुमुखता
- सृजनात्मकता में किस तत्व का योग नहीं है – – बनावटीपन का
- किसी बालक में निहित सृजनशीलता को पता करने के दो प्रकार है – – परीक्षण निरीक्षण
- ”सृजनात्मकता मुख्यत: नवीन रचना या उत्पादन में होती है।” यह कथन है – – ड्रेवर का
- सृजनशील बालक के गुण है – – विनोदी प्रवृत्ति– , समायोजनशील, सौन्दर्यात्मक विकास
- सृजनात्मकता का तात्पर्य है – – यह व्यक्ति में नये-नये कार्य करने की क्षमता और शक्ति है।
- सृजनात्मकता की है जो व्यक्ति को बनाती है उच्चकोटि का – – साहित्यकार
- निम्नलिखित में से कौन-सा सिद्धान्त सृजनात्मकता के बारे में नहीं है – – प्रतिष्ठावाद
- ‘मानसिक तथा शिक्षा-लब्धि परीक्षण’ नामक पुस्तक किसने लिखी है – – बर्ट ने
- बालक का मानसिक विकास सम्भव नहीं है – – प्रेमपूर्ण वातावरण में
- किशोर के मानसिक विकास का मुख्य लक्षण है – – मानसिक स्वतन्त्रता
- अच्छी आर्थिक स्थिति वाले बच्चे प्रतिभाशाली होते हैं, कारण है – – उचित भोजन– , उपचार के पर्याप्त साधन, उत्तम शैक्षिक अवसर
- बालक में तर्क और समस्या-समाधान की शक्ति का विकास होता है – – बारहवें वर्ष में
- ”सहयोग करने वाले में ‘हम की भावना’ का विकास और उनके साथ काम करने की क्षमता का विकास तथा संकल्प समाजीकरण कहलाता है।” यह कथन है – – क्रो व क्रो का
- ”किशोर का चिन्तन बहुधा शक्तिशाली पक्षपातों और पूर्व-निर्णयों से प्रभावित रहता है।” यह कथन है – – एलिस क्रो का
- बालक की मानिसक योग्यताएं हैं – – संवेदना
- शारीरिक परिवर्तन के लिए जिन शब्दों का प्रयोग किया गया है, वह है – – परिपक्वता– , अभिवृद्धि, विकास
- शिक्षक को बालकों को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए – – मनोवैज्ञानिक पद्धति से
- ”एक व्यक्ति लकड़ी से मनचाही कलात्मक वस्तु बना सकता है। चित्रकार मनचाहे रंगों से चित्र की सजीवता प्रकट कर सकता है, इसी प्रकार मूर्तिकार एवं वास्तुविद् भी अपनी-अपनी कलाओं की छाप छोड़ते हैं, यह तो सृजनात्मकता है।” उपर्युक्त कथन है – – बिने का
- ”अभिरुचियां किसी व्यक्ति को प्रशिक्षण के उपरान्त ज्ञान, दक्षता या प्रतिक्रियाओं को सीखने की योग्यता है।” यह कथन है – – चारेन का
- वे बालक जो सामाजिक, भावनात्मक, बौद्धि, शैक्षिक किसी भी या सभी पक्षों में औसत बालकों से भिन्न होते हैं तथा सामान्य विद्यालयी कार्यक्रम उनके लिए पर्याप्त नहीं होते हैं, कहलाते हैं – – असामान्य बालक
- व्यक्ति के मानसिक तनाव को कम करने की प्रत्यक्ष विधि है – – बाधा दूर करना
- बाल अपराध के लिए बुरी संगति को उत्तरदायी किसने माना है – – हीली व ब्रोनर ने
- पिछड़े बालकों को शिक्षा के क्षेत्र में अग्रसर करने के लिए क्या करना चाहिए – – घर तथा स्कूल में बालकों के समायोजन में सहायता– , विशेष स्कूलों की व्यवस्था, पाठान्तर क्रियाओं की व्यवस्था
- मानसिक रूप से पिछड़े बालकों की समस्या निम्न में से नहीं है – – परिवार में समायोजित होते हैं।
- बाल अपराध को दूर करने के लिए क्या करना चाहिए – – परिवार के वातावरण में सुधार– , स्कूल के वातावरण में सुधार, समाज के वातावरण में सुधार
- बालापराध की वह विधि जिसमें बालक की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर सामाजिक वातावरण में परिवर्तन लाया जाता है, वह है – – वातावरणात्मक विधि
- ”सृजनात्मकता मुख्यत: नवीन रचना या उत्पादन में होती है।” यह कथन है – – ड्यूबी का
- गिलफोर्ड ने सृजनात्मकता के अनेक परीक्षण बताये हैं, जिनमें प्रमुख है – – चित्रपूर्ति परीक्षण– , प्रोडक्ट इम्प्रूवमैन्ट टास्क
- टोरेन्स ने सृजनात्मक व्यक्ति की कितनी व्यक्तित्व विशेषताओं की सूची तैयार की है – – 84
- ”सृजनात्मकता का एक गुण है जिसमें किसी नवीन तथा इच्छित वस्तु का निर्माण किया जाता है।” यह कथन है – – इन्द्रेकर का
- बालक के मानसिक रूप से अस्वस्थ होने के कारण है – – विद्यालय का वातावरण– , सामाजिक वातावरण, पारिवारिक वातावरण
- ”वह बालक जो अपने अध्ययन के मध्यकाल में अपनी कक्षा का कार्य जो उसकी आयु के अनुसार सामान्य है, करने में असमर्थ रहता है।” वह कौन-सा बालक है – – पिछड़ा बालक
- कोई भी व्यवहार जो सामाजिक नियमों या कानूनों के विरुद्ध बालकों द्वारा किया जाता है, तो वह कहलाता है – – बालापराध
- निम्नलिखित में से कौन-सा कारक जटिल बालकों की जटिलताओं को जन्म नहीं देता है – – अच्छी संगत
- बालापराध के कारण है – – वंशानुक्रमीय वातावरण– , समाज व पारिवारिक वातावरण, विद्यालय का वातावरण
- निम्न में से बालापराध का कारण नहीं है – – वंशानुक्रम– , मन्दबुद्धिता, निर्धनता
- विकलांक बालकों से हम – – समझते हैं– , जो शारीरिक दोष रखते हैं।
- ”चोरी करना जन्मजात है। इसके पीछे बालक की संचय करने की मनोकामना छिपी रहती है।” उक्त कथन है – – कॉलेसनिक का
- प्रतिभाशाली बालकों में कौन-सा मानवीय गुण होता है – – सहयोग– , ईमानदारी, दयालुता
- ”प्रतिभावान लड़के घर में बैठना पसन्द करते है तथा अधिक क्रियाशील तथा झगड़ालू होते है।” उक्त कथन है – – ट्रो का
- जो बालक समाज में मान्य, उपयोगी एवं किसी प्रकार का नवीन मौलिक कार्य करते है, ऐसे बालक कहलाते है – – सृजनशील
- प्लेटो ने कब कहा था कि उच्च बुद्धि वाले बालको का चयन करके उन्हें विज्ञान, आदि की शिक्षा देनी चाहिए – – 2000 वर्ष पूर्व
- ”व्यवहार के सामाजिक नियमो से विचलित होने वाले बालक को अपराधी कहते है।” उक्त कथन है – – एडलर का
- मनोनाटकीय विधि के प्रवर्तक कौन हैं – – ट्रो
- ”वह हर बच्चा जो अपनी आयु स्तर के बच्चो में किसी योग्यता में अधिक हो और जो हमारे समाज के लिए कुछ महत्वपूर्ण नई देन दे, प्रतिभाशाली बालक है।” उक्त कथन है – – कॉलेसनिक का
- निरीक्षण और मापन पर विशेष बल देने वाला सम्प्रदाय है – – व्यवहारवाद
- शिक्षा में संवेगों का क्या महत्व है – – बालक के सम्पूर्ण व्यक्तित्व पर प्रभाव पड़ता है।
- ”मूल प्रवृत्तियां चरित्र निर्माण करने के लिए कच्ची सामग्री है। शिक्षक को अपने सब कार्यों में उनके प्रति ध्यान देना आवश्यक है।” यह कथन है – – रॉस का
- मूल प्रवृति क्रिया करने का बिना सीखा स्वरूप है। जैसे-मूल प्रवृत्ति है – – काम
- ”आदत एक सामान्य प्रवृति है। इस प्रवृत्ति का शिक्षा में सफलतापूर्वक उपयोग किया जा सकता है।” यह कथन है – – रॉस का
- मैकडूगल ने अनुकरण के कई प्रकार बताए हैं। निम्न में से कौन-सा उनमें से नहीं है – – अचेतन अनुकरण
- बालक चेतन रूप से सीखने का प्रयास करता है – – अनुकरण द्वारा
- समंजन दूषित होता है – – कुण्ठा से एवं संघर्ष से
- अधिगम में उन्नति पूर्ण सम्भव है – – सिद्धान्त रूप में
- ‘An Introduction to Social Psychology’नामक पुस्तक में ‘मूल प्रवृत्तियो के सिद्धान्त’ का प्रतिपादन सन् 1908 में किसने किया था – – मैक्डूगल ने
- चिन्तन शक्ति का प्रयोग देने का अवसर देते है – – तर्क– , वाद-विवाद, समस्या-समाधान
- बालक का समाजीकरण निम्नलिखित तकलीक से निर्धारित होता है – – समाजमिति तकनीक
- मूल प्रवृत्तियों में जिसका वर्गीकरण मौलिक और सर्वमान्य है, वह है – – मैक्डूगल
- समायोजन की विधियां है – – उदात्तीकराण्– , प्रक्षेपण, प्रतिगमन
- समायोजन दूषित होता है – – कुण्ठा से व संघर्ष से
- एक समायोजित व्यक्ति की विशेषता नहीं है – – वैयक्तिक उद्देश्यों का प्रदर्शन
- बालक के लिए मानसिक स्वास्थ्य के विकास के लिए पाठ्यक्रम होना चाहिए – – रुचियों के अनुकूल
- वैयक्तिक विभिन्नता का मुख्य कारण निम्नलिखित में से है – – आयु एवं बुद्धि का प्रभाव
- बालक को सीखने के समय ही जिस क्रिया को सीखना होता है, टेपरिकॉर्डर पर रिकॉर्ड करके उसका सम्बन्ध मस्तिष्क से कर दिया जाता है। यह कथन है – – सुप्त अधिगम
- निम्न में से अधिगम की विधियां है – – ये विधि
- ”अपनी स्वाभाविक त्रुटियों के कारण वैज्ञानिक विधि के रूप में निरीक्ष्ाण विधि अविश्वसनीय है।” यह कथन है – – डगलस एवं हालैण्ड का
- साक्षात्कार को माना जाता है – – आत्मनिष्ठ विधि
- साक्षात्कार मे कम-से-कम व्यक्तियों की संख्या होती है – – दो
- किसी उद्देश्य से किया गया गम्भीर वार्तालाप ही साक्षात्कार है। यह कथन है – – गुड एवं हैट का
- साक्षात्कार को समस्या समाधान के रूप में किस विद्वान ने परिभाषित किया है – – जे. सी. अग्रवाल ने
- साक्षात्कार का स्वरूप होता है – – विभिन्न प्रकार का
- नैदानिक साक्षात्कार का प्रमुख उद्देश्य होता है – – समस्या के कारणों की खोज– , घटना के कारणों की खोज
- व्यक्तियों को रोजगार प्रदान करने से पूर्व किया गया साक्षात्कार कहलाता हैं – – नैदानिक साक्षात्कार
- शोध साक्षातकार का उद्देश्य होता है – – शोधकर्ता के ज्ञान की परीक्षा
- एक बालक को शिक्षक के द्वारा पढ़ने के लिए सलाह दी जाती है तथा पढ़ाई में आने वाली विभिन्न समस्याओं का समाधान किया जाता है। इस प्रकार के साक्षात्कार को माना जायेगा – – परामर्श साक्षात्कार
- निम्नलिखित में कौन-सी प्रविधि साक्षात्कार से सम्बन्धित है – – निर्देशात्मक प्रविधि– , अनिर्देशात्मक प्रविधि
- साक्षात्कार का प्रथम सोपान है – – समस्या की जानकारी प्राप्त करना।
- क्रो एण्ड क्रो के अनुसार साक्षात्कार का प्रयोग किया जाता है – – निर्देशन में
- किस विद्वान ने साक्षात्कार को परामर्श की प्रक्रिया माना है – – रूथ स्ट्रैंग ने
- निम्नलिखित में कौन-सा तथ्य साक्षात्कार की दशाओं से सम्बन्धित है – – उचित वातावरण– , आत्मीय व्यवहार, पर्याप्त समय
- ग्रीनवुड के अनुसार प्रयोग प्रभाव होता है – – उपकल्पना का
- उपकल्पना का निर्माण प्रयोग का सोपान है – – द्वितीय
- ”चर वह लक्षण या गुण है जो विभिन्न प्रकार के मूल्य ग्रहण कर लेता है।” यह कथन है – – पोस्टमैन का तथा ईगन का
- प्रयोग के परिणाम में जांच होती है – – उपकल्पना की
- विवरणात्मक विधि में तथ्य या घटनाओं को एकत्रित किया जाता है – – विवरणात्मक रूप में
- विकासात्मक पद्धति का द्वितीय नाम है – – उत्पत्तिमूलक विधि
- गर्भावस्था से किशोरावस्था तक बालकों की वृद्धि एवं विकास का अध्ययन सम्बन्धित है – – विकासात्मक विधि से
- मानसिक उपचारों एवं बौद्धिक अवनति से सम्बन्धित तथ्यों का अध्ययन करने वाली विधि को किस नाम से जाना जाता है – – उपचारात्मक विधि
- गिलफोर्ड द्वारा चिन्तन का माना गया है – – प्रतीकात्मक व्यवहार
- वैलेन्टाइन ने चिन्तन को स्वीकार किया है – – श्रृंखलाबद्ध विचारों के रूप में
- गैरेट के अनुसार चिन्तन है – – रहस्यपूर्ण व्यवहार
- गैरेट चिन्तन में प्रतीकों के अन्तर्गत सम्मिलित करता है – – बिम्बों को– , विचारों को, प्रत्ययों को
- चिन्तन है – – संज्ञानात्मक क्रिया
- चिन्तन की आवश्यकता होती है – – समस्या समाधान के लिए
- एक बालक कक्षा में अमर्यादित व्यवहार करता है तो शिक्षक को उसकी गतिविधि के आधार पर उसके बारे में करना चाहिए – – चिन्तन एवं विचार
- परीक्षा में सही प्रश्न का उत्तर याद करने के लिए छात्रों द्वारा की जाती है – – चिन्तन
- निम्नलिखित में कौन-सा तथ्य चिन्तन के साधनों से सम्बन्धित है – – प्रतिमा– , प्रत्यय, प्रतीक
- निम्नलिखित में कौन-सा तथ्य चिन्तन के साधनों से सम्बन्धित नहीं है – – प्रतीक
- कक्षा में बालक शहीद भगत सिंह की प्रतिमा को देखकर चिन्तन करता है तो वह चिन्तन के किस साधन का प्रयोग करता है – – प्रतिमा
- शिक्षक द्वारा क से कलम तथा अ से अनार बताया जाता है तो छात्र कलम एवं अनार के बारे में चिन्तन करता है। शिक्षक द्वारा चिन्तन की प्रक्रिया में चिन्तन के किस साधन का प्रयोग किया गया – – प्रत्यय
- + के चिन्ह को देखकर छात्र इसके विभिन्न पक्षों पर चिन्तन प्रारम्भ कर देता है। इसका यह प्रयास चिन्तन के किस साधन का प्रयोग माना जायेगा – – प्रतीक एवं चिन्ह
- एक छात्र अपने शिक्षक को देखकर उसके गुण एवं व्यवहार के बारे में चिन्तन करने लगता है, चिन्तन का यह स्वरूप कहलायेगा – – प्रत्यक्ष चिन्तन
- एक बालक कक्षा अध्यापक को देखकर कहता है कि सर आ गये बालक के चिन्तन का यह स्वरूप कहलायेगा – – प्रत्यक्षात्मक चिन्तन
- किस शिक्षा शास्त्री ने विचारात्मक चिन्तन को ही प्रमुख रूप से स्वीकार किया है – – फ्रॉबेल ने
- एक शिक्षक गृहकार्य न करने वाले छात्रों के बारे में पूर्ण चिन्तन करने के बाद उनको गृहकार्य करके लाने में प्रेरित करते हुए इस समस्या का समाधान करता है उसका यह चिन्तन माना जायेगा – – विचारात्मक चिन्तन
- विभिन्न प्रकार के शैक्षिक अनुसन्धान एक आविष्कार से सम्बन्धित चिन्तन को सम्मिलित किया जा सकता है – – सृजनात्मक चिन्तन
- चित्त की योग्यता निर्भर करती है – – बुद्धि पर
- चिन्तन की योग्यता सर्वाधिक पायी जाती है – – प्रतिभाशाली बालक में
- जिस बालक में ज्ञान के प्रति रुचि होगी उसका चिन्तन स्तर होगा – – सर्वोत्तम
- चिन्तन के विकास हेतु बालक को किस विधि से शिक्षण करना चाहिए – – समस्या समाधान विधि
- बालक के समक्ष समस्या प्रस्तुत करने से बालक में विकास होगा – – चिन्तन का
- जो छात्र तार्किक दृष्टि से कमजोर होते हैं अर्थात् तर्क का स्तर सामान्य से कम होता है उनका चिन्तन होता है – – सामान्य से कम
- निम्नलिखित में किस तथ्य का चिन्तन में महत्वपूर्ण योगदान होता है – – रुचि– , तर्क, बुद्धि
- गैरेट के अनुसार तर्क का सम्बन्ध होता है – – क्रमानुसार चिन्तन से
- बुडवर्थ के अनुसार तर्क है – – तथ्य एवं सिद्धान्तों का मिश्रण
- स्किनर के अनुसार तर्क का आशय है – – कारण एवं प्रभावों के सम्बन्धों की मानसिक स्वीकृति से
- तर्क द्वारा प्राप्त किया जा सकता है – – निश्चित लक्ष्य
- तर्क में किसी घटना के बारे में खोजा जाता है – – घटना का कारण
- तर्क में प्रमुख भूमिका होती है – – पूर्व ज्ञान की– , पूर्व अनुभव की, पूर्व अनुभूतियों की
- तर्क में प्रमुख प्रकार माने जाते हैं – – दो
- आगमन तर्क में सर्वप्रथम प्रस्तुत किया जाता है – – उदाहरण
- गाय नाशवान है, पक्षी नाशवान है, मनुष्य नाशवान है, अत: यह तर्क दिया जा सकता है कि सभी नाशवान हैं। यह तर्क सम्बन्धित है – – आगमन तर्क से– , निगमन तर्क से
- निगमन तर्क में पहले प्रस्तुत किया जाता है – – नियम
- सभी नाशवान हैं इसलिए तर्क दिया जा सकता है कि सभी नाशवान हैं। इस तर्क वाक्य का सम्बन्ध है – – निगमन तर्क से
- शिक्षक को तर्क शक्ति के लिए छात्रों में विकसित करना चाहिए – – आत्मविश्वास– , क्रियाशीलता, उत्साह
- एक शिक्षक द्वारा बालक के सभी प्रश्नों का उत्तर दिया जाता है इससे बालक में विकसित होगी – – तर्कशक्ति
- शिक्षक द्वारा बालक के प्रश्नों का उत्तर न देने से कुप्रभावित होगा – – तार्किक विकास– , शैक्षिक विकास, मानसिक विकास
- उपलब्धि परीक्षण का द्वितीय नाम है – – निष्पत्ति परीक्षण
- उपलब्धि परीक्षण को एक अभिकल्प के रूप में किस विद्वान ने स्वीकार किया है – – फ्रीमैन
- गैरिसन के अनुसार उपलब्धि परीक्षण मापन करता है – – वर्तमान योग्यता– , विशिष्ट योग्यता
- उपलब्धि परीक्षण का शिक्षा विशेष के बाद प्राप्ति का मूल्यांकन किस विद्वान ने माना है – – थार्नडाइक ने तथा हैगन ने
- निम्नलिखित में कौन-सा तथ्य बालक के उपलब्धि परीक्षण से सम्बन्धित है – – ज्ञान की सीमा का मूल्यांकन– , बालकों की योग्यता का मापन, बालक के शैक्षिक विकास का मूल्यांकन
- उपलब्धि परीक्षणों के प्रमुख प्रकार हैं – – दो
- प्रमाणित परीक्षणों में समावेश होता है – – वैधता– , विश्वसनीयता, विश्लेषण
- प्रमाणित परीक्षणों को निर्माण किया जाता है – – विशेषज्ञ द्वारा
- प्रमाणित परीक्षणों की एनॉस्टासी के अनुसार प्रमुख विशेषता है – – प्रशासन में एकरूपता एवं गणना में एकरूपता
- थार्नडाइक एवं हैग के अनुसार प्रमापीकृत परीक्षणों की विशेषता है – – समान निर्देश– , समान समयसीमा, समान प्रश्न
- निम्नलिखित में कौन-सा तथ्य शिक्षक निर्मित परीक्षण प्रकारों से सम्बन्धित है – – आत्मनिष्ठता तथा वस्तुनिष्ठता
- निबंधात्मक एवं मौखिक परीक्षणों को सम्मिलित किया जाता है – – आत्मनिष्ठ परीक्षणों द्वारा तथा वस्तुनिष्ठ परीक्षणों द्वारा
- चिन्तन एवं तर्क के विकास हेतु उपयोगी परीक्षण है – – निबंधात्मक
- निम्नलिखित में कौन-सा तथ्य निबंधात्मक परीक्षण के गुणों से सम्बन्धित है – – प्रशासन में सरलता– , प्रगति का मूल्यांकन, विचार अभिव्यक्ति में स्वतन्त्रता
- मूल्यांकन करने वाला किस परीक्षण में अपनी विचारधारा से प्रभावित हो जाता है – – निबन्धात्मक परीक्षण में
- व्यक्तिनिष्ठता का दोष किस परीक्षण में पाया जाता है – – निबन्धात्मक परीक्षण में
- निम्नलिखित तथ्यों में कौन-सा तथ्य निबन्धात्मक परीक्षण के दोषों से सम्बन्धित है – – सीमित प्रतिनिधित्व– , प्रामाणिकता का अभाव, विश्वसनीयता का अभाव
- वस्तुनिष्ठ परीक्षणों के निर्माण में किन विद्वानों का श्रेय माना जाता है – – होरास मैन तथा जे. ए. राइस का
- वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के मूल्यांकन में निहित होती है – – वस्तुनिष्ठता
- निम्नलिखित में कौन से प्रश्न वस्तुनिष्ठ प्रश्नों से सम्बन्धित है – – बहुविकल्पीय प्रश्न– , सत्य/असत्य प्रश्न, रिक्त स्थान पूर्ति
- सरल प्रत्यास्मरण पद सम्बन्धी प्रश्न सम्मिलित किये जाते हैं – – वस्तुनिष्ठ परीक्षण में
- वस्तुनिष्ठ परीक्षणों के गुणों के रूप में स्वीकार किया जाता है – – वैधता को– , विश्वसनीयता को, वस्तुनिष्ठता को
- एक वैध परीक्षण अगुणों का मापन करता है जिसके लिए उसका निर्माण किया है। यह कथन है – – कॉलेसनिक का
- किस परीक्षण के माध्यम से विषय वस्तु का व्यापक प्रतिनिधित्व होता है – – वस्तुनिष्ठ परीक्षण में तथा निबन्धात्मक परीक्षण में
- शैक्षिक परीक्षणों को प्रयोग प्रमुख रूप से किया जा सकता है – – निर्देशन में एवं शैक्षिक परामर्श में
- समावेशित शिक्षा का सम्बन्ध है – – विशेष शिक्षा से
- समावेशित शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य किस स्तर के बालकों को शिक्षा की मुख्य धारा से सम्बद्ध करना है – – मंद बुद्धि बालकों को– , विकलांग बालकों को, वंचित बालकों को
- समावेशी शिक्षा में प्रमुख योगदान किस योजना का है – – सर्वशिक्षा अभियान का
- समावेशी शिक्षा में किस प्रकार के बालकों की शैक्षिक आवश्यकता की पूर्ति की जाती है – – विशिष्ट बालकों की
- वर्तमान समय में सभी बालकों को शिक्षा की मुख्य धारा से सम्बद्ध करने का श्रेय जाता है – – समावेशी शिक्षा को
- समावेशी शिक्षा में बालकों व व्यक्ति भिन्नता जाननेके लिए प्रयोग किया जाता है – – बुद्धि परीक्षणों का
- समावेशी शिक्षा के अनुसार विशिष्ट बालकों की शिक्षण अधिगम प्रक्रिया प्रभावी बनाने के लिए आवश्यक है – – प्रथम समूह बनाकर शिक्षण
- समावेशी शिक्षा बालकों को किस प्रकार का शिक्षण प्रदान करती है – – बहुस्तरीय शिक्षण– , प्रत्यक्ष शिक्षण विधियोंका प्रयोग युक्त शिक्षण
- समावेशी शिक्षा आधारित है –– वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर
- यदि कोई बालक धीमी गति से सीखता है तो उसके लिए आवश्यक होगी – – समावेशी शिक्षा
- समाज विरोधी प्रवृत्ति निराशावादी बालक के लिए समावेशी शिक्षा के अन्तर्गत प्रमुख रूप से विकसित करनी चाहिए – – संवेगात्मक स्थिरता– , सामाजिक गुणों का विकास
- बालकों के व्यवहार अध्ययन की शिक्षा मनोविज्ञान में विधियों को कितने भागों में विभाजित किया गया है – – पांच भागों में
- अन्तर्दर्शन विधि का स्रोत माना जाता है – – दर्शनशास्त्र
- आधुनिककाल में अन्तर्दर्शन के अप्रासंगिक होने के मूल में कारण है – – वैज्ञानिकता का अभाव
- अन्तर्दर्शन विधि पूर्णत: स्वीकार की जाती है – – आत्मनिष्ठ विधि के रूप में
- आत्मर्दर्शन विधि में प्रयोगकर्ता एवं विषय होते है – – एक
- अन्तर्दर्शन निरीक्षण करने की प्रक्रिया है – – स्वयं के मन की
- अन्तर्दर्शन विधि में बल दिया जाता है – – स्वयं के मन के अध्ययन पर
- बहिर्दर्शन विधि का सम्बन्ध होता है – – बालक के व्यवहार से– , प्रौढ़ के व्यवहार से, बृद्ध के व्यवहार से
- बहिर्दर्शन विधि में प्रयोग किया जाता है – – निरीक्षण का एवं परीक्षण का
- निरीक्षण आंख के द्वारा सम्पन्न की जाने वाली प्रक्रिया है यह कथन है – – स्किनर का
- बहिर्दर्शन विधि में व्यवहार का अध्ययन किया जाता है – – प्रत्यक्ष रूप से
- बहिर्दर्शन विधि में निहित है – – वैज्ञानिकता
- निम्नलिखित में कौन-सा तथ्य बहिर्दर्शन विधि के दोषों से सम्बन्धित है – – निरीक्षणकर्ता का दृष्टिकोण– , शंका उत्पन्न होना, अविश्वसनीयता
विकास की प्रक्रिया सम्बन्धित है – अधिगम से एवं कौशल अधिगम सेविकास की मन्द गति की स्थिति में अधिगम होता है – मन्दअधिगम के लिए आवश्यक है – बालक की मानसिक स्वस्थता एवं शारीरिक स्वस्थताकौशलात्मक अधिगम के लिए प्रमुख आवश्यकता होती है – शारीरिक विकास कीअस्थि विकलांग बालकों के समक्ष अधिगम प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न होती है – शारीरिक विकास के कारणव्यक्तित्व को प्रभावशाली बनाने तथा व्यक्तित्व गुणों के सीखने में आवश्यक होता है – शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक विकासस्वस्थ शरीर में निहित है – स्वस्थ मनगतिविधि आधारित अधिगम के लिए आवश्यक है – शारीरिक एवं मानसिक विकासविकलांग बालकों के समक्ष विद्यालय में समायोजन की समस्या का प्रमुख कारण होता है – शारीरिक विकासशारीरिक विकास को इसलिए महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि – यह मानसिक विकास में योगदान देता है। यह अधिगम में योगदान देता है। यह कौशलों के सीखने में योगदान देता है।मानसिक रूप से मन्द बालक का अधिगम स्तर कम होता है क्योंकि ये बालक – विषय-वस्तु पर ध्यान नहीं दे पाते हैं। इनका मानसिक विकास पूर्ण नहीं होता है।अवधान का सम्बन्ध होता है – मानसिक विकास सेस्मृति विहीन बालक का अधिगम स्तर निम्न होता है, क्योंकि – उसका मानसिक विकास नहीं होता है।एक बालक अपनी शैक्षिक समस्याओं का समाधान करने में असमर्थ है तो माना जाएगा – मानसिक विकास का अभावप्रभावी एवं उच्च अधिगम के लिए आवश्यक है – मानसिक विकासअधिगम से सम्बन्धित मानसिक शक्तियां हैं – स्मृति,अवधान, चिन्तनकक्षा में अधिगम प्रक्रिया हेतु बालकों का समूह विभाजन किस आधार पर किया जाता है – मानसिक विकास के आधार परअधिगम प्रक्रिया में चिन्तन की प्रभावशीलता प्रदर्शित करती है – उच्च मानसिक विकास कोअधिगम प्रक्रिया में प्रमुख भूमिका होती है – मानसिक शक्तियों कीकिसी कार्य को सीखने में सफलता के लिए आवश्यक है – उचित शारीरिक विकास, उचित मानसिक विकासउच्च मानसिक विकास के लिए आवश्यक है – उत्तम स्वास्थ्यमानसिक विकास की मन्दता प्रभावित करती है – अधिगम कोप्रतिभाशाली बालकों का अधिगम स्तर उच्च पाया जाता है क्योंकि उनका मानसिक विकास होता है – उच्चअरस्तू के अनुसार, शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य माना जाता है – मानसिक शक्तियों का विकासशिक्षक के मानसिक स्वास्थ्य का प्रभाव पड़ता है – शिक्षण अधिगम दोनों परवैज्ञानिक विधियों का प्रयोग प्रमुख रूप से अधिगम में उन छात्रों के लिए किया जा सकता है, जो छात्र होता है – प्रतिभाशाली, उच्च मानसिक विकास वालेसंवेगों का सम्बन्ध होता है – मूल प्रवृत्ति से
- अधिगम की प्रक्रिया के प्रभावी रूप से विकसित होने के लिए आवश्यक है – संवेगात्मक स्थिरता
- भौतिक विकास एवं अधिगम के मूल में समावेश है – संवेगात्मक विकास
- सृजन की क्रिया किस संवेग से बाधित होती है – घृणासे
- व्यवहार के सीखने में योगदान होता है – संवेगों का
- शैशवावस्था में प्रमुख रूप से विकसित होता है – प्रेम,भय, क्रोध
- व्यवहार में मर्यादा का समावेश पाया जाता है – संवेगात्मक स्थिरता के कारण एवं संवेगात्मक अस्थिरता के कारण
- बालक शीघ्रता से निर्णय लेने की क्षमता सीखता है – किशोरावस्था में
- व्यक्तित्व निर्माण एवं विकास की प्रक्रिया में योगदान होता है – संवेगों का स्थायित्व
- एक किशोर भूख लगने पर खाना बनाने का प्रयास करता है तथा खाना बनाना सीख जाता है। उसका यह प्रयास माना जाएगा – संवेग द्वारा सीखना
- एक बालक को धन की आवश्यकता होने पर पिता से धन मांगता है। इसके लिए उपेक्षा मिलने पर वह धन कमाने के लिए विभिन्न कौशलों को सीखने लगता है। इस कार्य में किस संवेग का योगदान होता है – आत्म अभिमान का
- एक बालक मर्यादित व्यवकार को सीखता है। इसके मूल में उद्देश्य निहित होता है – चारित्रिक, नैतिक,सामाजिक विकास का
- मुनरो के अनुसार, चरित्र में समावेश होता है – स्थायित्व का एवं सामाजिक निर्णय लेने का
- चारित्रिक विकास के अन्तर्गतविकास सम्बन्धी क्रियाओं को बालक सीखता है – आत्म अनुशासन, मर्यादित व्यवहार, नैतिक व्यवहार
- चरित्र को माना जाता है – सामाजिक धरोहर
- चारित्रिक विकास सम्बन्धी क्रियाओं को बालक सीखता है – पूर्वजों से, परिवार से, शिक्षक एवं विद्यालय से
- एक बालक सत्य इसलिए बोलना सीखता है क्योंकि यह चरित्र का सर्वोत्तम गुण है उसकी यह सीखने की प्रक्रिया है – सकारात्मक
- एक बालक चोरी करना छोड़कर सत्य का आचरण सीखता है तो उसको सीखने की प्रक्रिया के मूल में समाहित होता है – चारित्रिक विकास की भावना
- अच्छे चरित्र की ओर संकेत करता है – नैतिकता,मानवता, कर्तव्यनिष्ठा
- ‘हम’ की भावना से सम्बन्धित क्रियाओं को बालक किस अवस्था में सीखता है – बाल्यावस्था में
- बालक विद्यालय में शिक्षक के गुणों को ग्रहण करता है क्योंकि वह शिक्षक को स्वीकार करता है – चरित्रवान व्यक्ति के रूप में
- नैतिक क्रियाओं को सीखने के समय बालक की आयु होती है – लगभग 4 वर्ष
- बालक अपनी क्रियाओं को परिणाम के आधार पर सीखने का प्रयास किस अवस्था में करता है – 5 से 6 वर्ष
- क्रो एण्ड क्रो के अनुसार, जन्म के समय बालक होता है – सामाजिक व असामाजिक
- बालक सामाजिक व्यवहार को तीव्र गति से सीखता है – सामाजिक विकास की अवस्था में
- सामूहिक व्यवहार को बालक प्रथम रूप में सीखता है – शैशवावस्था के अन्त में
- गिरोह बनाने की प्रवृत्ति बालक सीखता है – बाल्यावस्था में
- सामाजिक भावना से सम्बन्धित कार्यों को बालक सीखने लगता है – बाल्यावस्था में
- आत्म प्रेम अर्थात् स्वयं को आकर्षक बनाने की गतिविधियों को बालक सीखता है – किशोरावस्था में
- किशोरावस्था में बालकों द्वारा समायोजन की प्रक्रिया को सीखने में अस्थिरता का समावेश होने का कारण है – संवेगों की तीव्रता
- सामाजिक कार्यों में उत्साह एवं तीव्रता का प्रदर्शन एवं उन्हें सीखने की प्रक्रिया किस अवस्था में तीव्र गति से सम्भव होती है – किशोरावस्था
- सामाजिक विकास एवं कार्यों के सीखने में प्रभाव होता है – वंशानुक्रम का
- बालक को सामाजिक गुणों को सीखने में सहायता करता है – खेल व पाठ्यक्रम सहगामी क्रियाएं
- सामाजिक कार्यों को सीखने के लिए आवश्यक है – उत्तम स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य, संवेगात्मक स्थिरता
- क्रो एण्ड क्रो के अनुसार, कौन-से विकास साथ-साथ चलते हैं – सामाजिक विकास एवं संवेगात्मक विकास
- हरलॉक के अनुसार, बालक सर्वाधिक सामाजिक कार्यों को सीखता है – समूह में
- सामाजिक विकास को प्रभावित करता है – संवेगात्मक व मानसिक विकास तथा वंशानुक्रम
- तथ्यात्मक ज्ञान को सीखने में सर्वप्रथम आवश्यकता होती है – भाषायी विकास की
- भाषायी क्रियाओं को बालक सर्वप्रथम सीखता है – परिवार से
- भाषायी ज्ञान को परिष्कृत करने का साधन है – विद्यालय
- शैशवावस्था में भाषायी तथ्यों के सीखने में सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है – परिवार की संस्कृति एवं सभ्यता का
- सामान्य भाषायी अधिगम की स्थिति में बालक लगभग 200 से 225 तक शब्ध किस आयु वर्ग में सीखता है – 2 वर्ष में
- भाषायी तथ्यों को कौन अधिक तीव्र गति से सीखता है – बालक व बालिका
- निम्नलिखित में कौन सी संस्था भाषायी तथ्यों को सीखने में बालक की सहायता करती है – समुदाय एवं घर, विद्यालय एवं परिवार, सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति
- स्मिथ के अनुसार, जन्म के बाद के प्रथम दो वर्षों में लम्बी अवधि तक रोगग्रस्त होने के कारण भाषायी विकास की क्रिया हो जाती है – मन्द एवं सामान्य
- भाषायी अधिगम को प्रभावित करने वाला कारक है – स्वास्थ्य एवं बुद्धि
- भाषायी अधिगम सर्वाधिक प्रभावित होता है – हकलाने से एवं तुतलाने से
- भाषायी अधिगम प्रभावित होता है – सामाजिक स्थिति से
- सृजनात्मक विकासमें निहित होती है – बाल कल्पना
- बालक द्वारा मिट्टी के घर एवं खिलौनों का निर्माण करना सूचक है – सृजनात्मक विकास का
- बालक में आयु की वृद्धि के साथ-साथ कल्पना का स्वरूप होता है – मन्द
- गणित में सृजनात्मकता के माध्यम से शिक्षण में बालकों को प्रदान किया जा सकता है – गणितीय आकृतियों का निर्माण
- एक बालक एक मूर्ति को देखकर उसे बनाने का प्रयास करने लगता है, उसके इस मूल में समाहित है – सृजनात्मकता
- बालक द्वारा राजा, चोर एवं सिपाही की भूमिका का निर्वहन करना एवं उनकी गतिविधियों को सीखना निर्भर करता है – सृजनात्मकता के विकास पर
- बालकों को कविताओं के माध्यम से शिक्षण करना प्रभावशाली माना जाता है क्योंकि कविताओं में निहित होती है – सौन्दर्य
- सौन्दर्यात्मक विकास एवं मूल्य अधिगम से सम्बन्धित है – प्रत्यक्ष रूप से एवं अप्रत्यक्ष रूप से
- संगीत एवं लोकगीत का अधिगम बालक शीघ्रता से करते हैं, क्योंकि इसमें निहित है – सौन्दर्य एवं भाव पक्ष
- प्राकृतिक संसाधनों का अधिगम में प्रयोग करने के लिए छात्रों में किस विकास की आवश्यकता होती है – सृजनात्मकता विकास की
- सीखने के नियमों के प्रतिपादक है – थार्नडाइक
- सीखने के नियम आधारित है – प्रयास और त्रुटि विधि पर
- प्रयास एवं त्रुटि द्वारा सीखना ही – उद्दीपक प्रतिक्रिया का सिद्धान्त है।
- ”व्यवहार के कारण व्यवहार में कोई भी परिवर्तन अधिगम है” ऐसा कहा गया है – गिलफोर्ड द्वारा
- पावलॉव था – एक रूसी मनोवैज्ञानिक
- अधिगम के विभिन्न विद्धान्त व्याख्या करते हैं – अधिगम के उत्पन्न एवं व्यक्त होने की प्रक्रिया की
- पावलॉव ने सम्बन्ध प्रत्यावर्तन सिद्धान्त का प्रयोग सर्वप्रथम किस पर किया – कुत्ते पर
- अन्तदृष्टि या सूझ का सिद्धान्त के जनक है – कोहलर
- अनुकरण सिद्धान्त के द्वारा बालक में क्या विकसित किया जा सकता है – सद्विचार, सद्व्यवहार का
- जिस सिद्धान्त के अनुसार, प्राणी किसी परिस्थिति को देख करके तथा अनुभव करके उसकी पूर्ण आकृति बनाते हैं, वह है – गेस्टाल्ट का सिद्धान्त
- बालक को सीखने के समय ही, जिस क्रिया को सीखना होता है, टेपरिकॉर्डर पर रिकॉर्ड करके उसका सम्बन्ध मस्तिष्क से कर दिया जाता है। यह कथन है – सुप्त अधिगम
- निम्न में से अधिगम की विधियां है – अवलोकन विधि, करके सीखना, सुप्त अधिगम व सामूहिक विधि
- शिक्षण और अधिगम – एक सिक्के के दो पहलू हैं,शिक्षण से अधिगम तथा अधिगम से शिक्षण की प्राप्ति होती है। दोनों गत्यात्मक प्रक्रियांएं हैं।
- सीखने के सूझ के सिद्धान्त की शैक्षिक उपयोगिता निम्न में से नहीं है – यह सिद्धान्त समय पर सीखने पर अधिक बल नहीं देता।
- सीखने का सूझ के सिद्धान्त में किस जानवर पर प्रयोग किया गया – चिम्पैंजी पर
- अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक है – भूख एवं परिपक्वता, प्रशंसा एवं निन्दा, शिक्षण पद्धति एवं अभ्यास
- सीखने में रुकावट आने का कारण है – पुरानी आदतों का नई आदतों से संघर्ष, कार्य की जटिलता,शारीरिक सीमा
- लक्ष्य प्राप्ति में सूझ का महत्व माना है – ड्रेवर ने
- ”सीखने की प्रक्रिया की एक प्रमुख विशेषता पठार है।” यह कथन है – रॉस का
- सीखने में उन्नति पूर्ण सम्भव है – सिद्धान्त रूप में
- सीखने की आवश्यकता है – बालक का पूर्ण व्यक्तित्व
- सीखने की गति निर्भर करती है – सीखने वाले की रूचि पर, जिज्ञासा पर, सीखने वाले की प्रेरणा।
- सीखने की अन्तिम अवस्था में सीखने की गति होती है – धीमी
- सीखना प्रारम्भ होता है – जिज्ञासा
- सीखने की प्रक्रिया सम्पादित होती है – शिक्षकों से
- बन्दूरा के अनुसार, किन प्रतिरूपों का बालकों द्वारा अनुकरण किया जाता है – जो पुरस्कृत साधनों पर नियन्त्रण रखते हैं। जो उच्च स्तर रखते हैं।
- अधिगम की प्रक्रिया में किन प्रतिरूपों का अनुकरण नहीं किया जाता है – अयोग्य प्रतिरूपों का
- निम्नलिखित में कौन-सा तथ्य बन्दूरा के व्यक्तित्व के सिद्धान्त से सम्बन्धित है – सामाजिक पुरस्कार का सिद्धान्त, दण्ड का सिद्धान्त, प्रतिरूपों के तादात्मीकरण का सिद्धान्त।
- राम के पिता को परमवीर चक्र प्रदान किया गया क्योंकि उसके पिता सेना में कार्यरत हैं। उसके पिता को सभी समाज के सामने सम्मानित किया गया। इसके बाद बालकों में देश सेवा की क्रियाओं को भाग लेने की भावना का विकास हुआ। यह प्रक्रिया बन्दूराके किस सिद्धान्त पर आधारित है – सामाजिक पुरस्कार का सिद्धान्त
- एक बालक कक्षा से इसलिए नहीं भागता है कि शिक्षक द्वारा अन्य भागने वाले बच्चों को दण्डित किया जाता है। उसका यह अनुकरण किस सिद्धान्त पर आधारित है – दण्ड का सिद्धान्त
- बन्दूरा के प्रमुख रूप से व्यक्तित्व सिद्धान्तों की संख्या है – दो
- बन्दूरा ने अपने सिद्धान्त का प्रयोग किया – बालकों पर
- बन्दूरा के अधिगम सिद्धान्त का प्रमुख साधन था – फिल्म
- बन्दूरा के द्वारा प्रस्तुत अधिगम सिद्धान्त में फिल्म के भाग थे – तीन
- बन्दूरा ने प्रमुख रूप से अपनीप्रयोगसम्बन्धी क्रियाओं में किन तथ्यों को स्थान प्रदान किया – पुरस्कार एवं दण्ड
- बालकों द्वारा प्रतिरूप के किस व्यवहार का अनुकरण नहीं किया जाता है – दण्डित व्यवहार का
- बालक द्वारा सर्वाधिक प्रतिरूप के किस व्यवहार का अनुकरण किया जाता है – पुरस्कृत व्यवहार का
- तादात्मीकरण का आशय है – प्रतिरूप की क्रियाओं को आत्मसात करना
- छात्रों में अन्तर्निहित प्रतिभाओं का विकास सम्भव होता है – तादात्मीकरण द्वारा
- तादात्मीकरण की प्रक्रिया से सम्बन्धित तथ्य है – प्रतिरूप के व्यवहार से प्रभावित होना, प्रतिरूप का चयन करना, प्रतिरूप के अनेक व्यवहारों का अनुकरण करना।
- एक बालक द्वारा शिक्षक की शिक्षण कला को देखकर उसके व्यवहार का अनुकरण किया जाता है। बालक द्वारा बन्दूरा के किस सिद्धान्त का अनुकरण किया जाता है – तादात्मीकरण के सिद्धान्त का
- अधिगमकर्ता किसी प्रतिरूप का चयन किस आधार पर करता है – सहानुभूति एवं आत्मीय व्यवहार
- विद्धालय के नियमों का अनुकरण छात्रों द्वारा किया जाता है – दण्ड के आधार पर
- एक बालक अपने सहपाठी राम को दौड़ने में प्रथम स्थान प्राप्त करते हुए देखता है तो वह भी उसका अनुकरण करने लगता है। उसका यह अनुकरण माना जाएगा – ईर्ष्या के आधार पर
- एक बालक में खेल के प्रति रुचि अधिक है इसलिए वह अन्य शिक्षकों की तुलना में खेल शिक्षक को प्रतिरूप के रूप में स्वीकार करता है। उसका यह प्रतिरूप चयन आधारित होगा – आदतों की समानता
- मोहन अपने बड़े भाई को दूसरों की सहायता करते हुए देखता है, परिणामस्वरूप वह भी इस कार्य में लग जाता है। इस प्रक्रिया में प्रमुख भूमिका होता है – प्रभावशीलता की
- सामाजिक अधिगम की प्रक्रिया में स्थायित्व की स्थिति उत्पन्न होती है जब – कोई घटना बार-बार होती है।
- सामाजिक रूप से उपयोगी तथा अधिगमकर्ता द्वारा उसकी स्वीकृत उपयोगिता किसी क्रिया में उत्पन्न करती है – स्थायी अधिगम
- सामान्य परिस्थितियों में 5 वर्ष के बालक द्वारा सात वर्ष के बालक की तुलना में कम सामाजिक अधिगम किया जाता है। इसका प्रमुख कारण है – आयु परिपक्वता
- सामाजिक अधिगम की तीव्रता एवं स्थायी गति होती है – शिक्षित समाज में
- जिस समाज में सामाजिक नियम एवं परम्परा प्रगतिशील एवं आत्मानुशासन से सम्बन्धित होंगे। – उत्तम एवं तीव्र
- रूढिवादी समाज में सामाजिक अधिगम की मन्दता का कारण होता है – अस्वस्थ परम्पराएं, अन्धविश्वास,अनुपयोगी परम्पराएं
- अन्य देशों की तुलना में भारतीय बालकों में सामाजिक अधिगम की गति तीव्र हेाती है क्योंकि भारतीय समाज सम्पन्न है – शिक्षा से
- किसी समाज में आन्तरिक कलह, संघर्ष एवं अशान्ति का वातावरण है। – मन्द
- लेह-लद्दाख की तुलना में दिल्ली में सहने वाले बालक का सामाजिक अधिगम अधिक होता है। इसका प्रमुख कारण है – जलवायु
- सामाजिक अधिगम किन परिस्थितियों में उत्तम होता है – अधिगमकर्ता के अनुरूप
- सीखने के मुख्य नियमों के अतिरिक्त गौण नियम भी हैं जो मुख्य नियमों को विज्ञतार देते हैं। गौण नियम है – बहुप्रतिक्रिया नियम
- निम्न में से जो अधिगम के स्थानान्तरण का सिद्धांत नहीं है, वह है – असमान अंशों का सिद्धान्त
- निम्न में से जो वंचित वर्ग से सम्बन्धित नहीं है, वह है – अमीर वर्ग
- मूल प्रवृत्तियां एक जाति के प्राणियों में एक-सी होती है, यह कथन है – भाटिया का
- पावलॉव ने अधिगमका जो सिद्धान्त प्रतिपादित किया था, वह है – अनुकूलित अनुक्रिया
- मूल प्रवृत्तियोंमें आवश्यक होता है – अनुभव
- ”मापन किया जाने वाला व्यक्तित्व का प्रयोग पहलू वैयक्तिक भिन्नता का अंश है।” उपर्युक्त परिभाषा दी है – स्किनर ने
- थार्नडाइक का सीखने का मुख्य नियम नहीं है – सदृश्यीकरण का नियम
- अन्तर्दृष्टि पर प्रभाव डालने वाले तत्व है – बुद्धि,अनुभव, प्रयत्न एवं त्रुटि
- क्रियात्मक अनुबन्धन का सिद्धान्त किसकी देन माना जाता है – स्किनर की
- जिन आदतों का सम्बन्ध मस्तिष्क से होता है, वह हैं – नाड़ीमण्डल सम्बन्धी आदतें
- जब पूर्व प्राप्त अनुभव नवीन समस्या को हल करने में सहायक होता है, वह है – धनात्मक स्थानान्तरण
- निम्नलिखित में से सीखने का मुख्य नियम है – अभ्यास का नियम
- थार्नडाइक का अधिगम सिद्धान्त निम्नलिखित नाम से जाना जाता है – प्रयास व त्रुटि का सिद्धान्त
- सीखने के मुख्य नियमों के अतिरिक्त गौण नियम भी हैं जो मुख्य नियमों को विस्तार देते हैं। गौण नियम है – बहुप्रतिक्रिया नियम
- कक्षा वातावरण में सीखने का महत्वपूर्ण नियम है – हस्तलेखन
- सीखी गई क्रिया का अन्य समान परिस्थितियों में उपयोग किया जाना कहलाता है – अधिगम, अधिगम स्थानान्तरण या परिपक्वता इनमें से कोई नहीं
- शिक्षा मनोविज्ञान जरूरी है – शिक्षक, छात्र,अभिभावक सभी के लिए
- अधिगम की निम्नान्कित परिभाषा किसने दी है? ‘सीखना विकास की प्रक्रिया है।‘ – बुडवर्थ
- सीखना प्रभावित होता है – प्रेरणा
- ”सीखना सम्बन्ध स्थापित करता करता है। सम्बन्ध स्थापित करने का कार्य, मनुष्य का मस्तिष्क करता है।”यह कथन है – थार्नडाइक का
- ”सीखने की असफलताओं का कारण समझने की असफलताएं हैं।” यह कथन है – मर्सेल का
- सीखने के बिना सम्भव नहीं है – वृद्धि व अभिवृद्धि
- सीखने के लिए विष्य-सामग्री का स्वरूप होना चाहिए – सरल से कठिन
- छात्रों द्वारा विचार-विनिमय किया जाता है – सम्मेलन व विचार गोष्ठी से
- प्रारम्भिक कक्षाओं में सीखने की जिन विधियों को महत्व दिया है, वह है – करके सीखना
- सीखने के प्रकार है – ज्ञानात्मक, गामक,संवेदनात्मक अधिगम
- हम जो भी नया काम करते हैं उसे आत्मसात कर लेते हैं। यह सम्बन्धित है – आत्मीकरण के नियम से
- जब किसी वस्तु को देखकर या स्पर्श कर ज्ञान प्राप्त किया जाता है तो वह सीखना कहलाता है – प्रत्यक्षात्मक सीखना
- तत्परता के द्वारा हम कार्य सीख लेते हैं – शीघ्र
- सीखने को प्रभावित करता है, कक्षा का – मनोविज्ञान वातावरण
- संवेग में प्रवृत्ति होती हैं – स्थिरता
- थार्नडाइक मनोवैज्ञानिक थे – अमेरिका के
- निम्नांकित में वंचित वर्ग में शामिल होते हैं – अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, विकलांग बालक सभी
- स्किनर ने कितने प्रकार के उपपुनर्बलन का प्रयोग किया है? – चार प्रकार के
- ‘कोहलर‘ का अधिगम-सिद्धान्त निम्नलिखित नाम से जाना जाता है – अन्तदृष्टि का सिद्धान्त
- अधिगम को प्रभावित करने वाले घटक हैं – उचित वातावरण, प्रेरणा एवं परिपक्वता
- अधिगम तब तक सम्भव नहीं है जब तक कि व्यक्ति शारीरिक तथा मानसिक रूप से ……….. नहीं हो – परिपक्व
- ”संवेगात्मक जीवन में स्थानान्तरण का नियम एक वास्तविक तथ्य है।” यह कथन है – मैलोन का
- निम्न में से कौन-सा कारक किशोरावस्था में बालक के विकास को प्रभावित करता है? – खान-पान,वंशानुक्रम एवं नियमित दिनचर्या
- जिस विधि के द्वारा बालक को आत्म-निर्देशन के माध्यम से बुरी आदतों को दुड़वाने का प्रयास किया जाता है, वह विधि है – आत्मनिर्देशन विधि
- बुद्धि-लब्धि के लिए विशिष्ट श्रेय किस मनोवैज्ञानिक को जाता है? – स्टर्न को
- बालक के सामाजिक विकास में सबसे महत्वपूर्ण कारक कौन-सा है? – वातावरण का
- संवेगात्मक विकास की किस अवस्था में तीव्र परिवर्तन होता है? – किशोरावस्था
- चरित्र को निश्चित करने वाला महत्वपूर्ण कारक है – मनोरंजन सम्बन्धी कारक
- जिस आयु में बालक की मानसिक योग्यता का लगभग पूर्ण विकास होता है, वह है – 14 वर्ष
- सामान्य बुद्धि बालक प्राय: किस अवस्था में बोलना सीख जाते हैं? – 11 माह
- निम्नांकित पद्धति व्यक्तिगत भेद को ध्यान में नहीं रखकर शिक्षण में प्रयुक्त की जाती है – व्याख्यान विधि
- शारीरिक रूप से व्यक्ति-व्यक्ति के मध्य जो भिन्नता दिखाई देती है, वह कहलाती है – बाहरी विभिन्नता
- बाह्य रूप से दो व्यक्ति एकसमान हैं, लेकिन वे अन्य आन्तरिक योग्यताओं की दृष्टि से समरूप नहीं हैं, ऐसी व्यक्गित विभिन्नता कहलाती है – आन्तरिक विभिन्नता
- व्यक्तिगत शिक्षण में निम्नलिखित विधि काम में नहीं आती है – सामूहिक शिक्षण पद्धति
- मोटे रूप में व्यक्तिगत विभेद को कितने भागों में विभाजित किया गया है? – दो
- एक छात्र द्वारा गणित के सूत्र x2+y2+2xy की गणितीय अवधारणा का प्रयोग भौतिक विज्ञान के प्रश्न का हल करने में किया जाता है। उसका यह कार्य माना जाएगा – अधिगम स्थानान्तरण
- अधिगम स्थानान्तरण से बचत होती है – समय एवं श्रम की
- अधिगम स्थानान्तरा की आवश्यक शर्त है – स्थायी अधिगम, स्थिति का चयन, प्रभाव, ये सभी
- निम्नलिखित में से कौन-सा कारक अधिगम को प्रभावित करने वाले मनोवैज्ञानिक कारकों से सम्बन्धित है? – उचित प्रतिचारों का चुनाव, प्रक्रिया की प्रभावशीलता, रुचि सभी
- एक बालक गणित सीखनेमें रुचि नहीं रखता है इसलिए वह गणित में कमजोर है। यह कारक अधिगम को प्रभावित करने वाले कारकों में से किस कारक से सम्बन्धित है? – मनोवैज्ञानिक कारक से
- निम्नलिखित में कौन-सा कारक शारीरिक कारक से सम्बन्धित है जो कि अधिगम को प्रभावित करते हैं – विकलांगता, दृष्टि दोष, एवं श्रवण दोष
- तीवन वर्ष का बालक साइकिल चलाना नहीं सीख पाता है। इसका प्रमुख कारण होगा – आयु एवं परिपक्वता का अभाव
- निम्नलिखित में कौन-सा कारक अधिगम को प्रभावित करने वाले सामाजिक कारकों से सम्बन्धित है? – शिक्षित समाज, सामाजिक प्रशंसा, सामाजिक नियमों का प्रभाव
- एक बालक कक्षा में इसलिए अनुपस्थित रहता है कि उसके माता-पिता उसे गृहकार्य नहीं करने देते हैं तथा उसे अपने निजी कार्यों में लगाते हैं। इसका प्रमुख कारण माना जायेगा – अशिक्षित समाज का होना,शिक्षा के महत्व को न जानना, अभिभावक का अशिक्षित होना।
- एक बालक विभिन्न प्रकार के लोकगीतों को सरलता से सीख जाता है, जबकि उसको कक्षा में सीखने में कठिनाई होती है। इसका प्रमुख कारण है – सांस्कृतिक परम्पराओं से प्रेम होना, सभ्यता एवं संस्कृति से लगाव
- जलवायु एवं स्थान के आधार पर अधिगम का प्रभावित होना सम्मिलित किया जा सकता है – पर्यावरणीय कारकों में
- ”सूझ वास्तविक स्थिति का आकस्मिक, निश्चित और तात्कालिक ज्ञानहै।” यह कथन है – गुड का
- व्यवहारवाद की उत्पत्ति कहां से मानी जाती है? – अमेरिका से
- व्यवहारवाद के प्रमुख समर्थक थे – वाट्सन
- संरचनावाद के विकास में सर्वाधिक योगदान माना जाता है – विलियम बुण्ट का
- बुण्ट ने सबसे पहली मनोवैज्ञानिक प्रयोगशाला किस सन् में स्थापित की – सन् 1875 में
- मनोवैज्ञानिक स्वीयरमैन के अनुसार, बालक की बुद्धि का अधिकतम विकास किस उम्र में होता है? – 14 से 16 वर्ष की उम्र में
- ”इस बात पर कोई मतभेद नहीं हो सकता है कि किशोरावस्था जीवन का सबसे कटिन काल है।” यह कथन है – किलपैट्रिक का
- विशिष्ट बालक में प्रमुख विशेषता है – साधारण बालकों से भिन्न गुण एवं व्यवहार वाला बालक
- प्रतिभाशाली बालक की विशेषता है – तर्क, स्मृति,कल्पना आदि मानसिक तत्वों का विकास, उदार एवं हंसमुख प्रवृत्ति के होते हैं। दूसरों का सम्मान करते हैं, चिढ़ाते नहीं हैं।
- विशिष्ट बालकों की श्रेणी में आते हैं केवल – प्रतिभाशाली, पिछड़े, समस्यात्मक ये सभी
- शारीरिक रूप से अक्षम बालकों को किस श्रेणी में रखते हैं – विकलांग
- ”प्रतिभाशाली बालक शारीरिक गठन, सामाजिक समायोजन व्यक्तित्व के गुणो, विद्यालय उपलब्धि, खेल की सूचनाओं और रुचियों की विविधतामें औसत बालकों से रेष्ठ होतेहैं।” यह कथन है – टर्मन एवं ओडम का
- ”पिछड़ा हुआ बालक वह है जो अपने विद्यालयी जीवन में अध्ययन काल के मध्य में अपनी आयु के अनुरूप अपनी कक्षा से नीचे की कक्षा के उस कार्य को न कर सके, जो उसकी आयु के बालकों के लिए सामान्य कार्य है।” यह कथन है – बर्ट का
- टर्मन के अनुसार प्रतिभाशाली बालक की बुद्धिलब्धि कितने से अधिक होती है – 140
- ”जो बालक कक्षा में विशेष योग्यता रखते हैं उनको प्रतिभाशाली कहते हैं।” यह कथन है – ड्यूवी का
- चोरी, झूठ व क्रोध करने वाला बालक है – समस्यात्मक
- ”जिस बालक की शैक्षिक लब्धि 85 से कम होती है उसे पिछड़ा बालक कहा जा सकता है।” यह कथन है – बर्ट का
- ”जिस बालक की बुद्धि–लब्धि 70 से कम होती है,उसको मन्द बुद्धि बालक कहते हैं।” यह कथन है – क्रो एवं क्रो का
- ”एक व्यक्ति जिसमें इस प्रकार का शारीरिक दोष होता है जो किसी भी रूप में उसे सामान्य क्रियाओं में भाग लेने से रोकता है या उसे सीमित रखता है, उसको हम विकलांग (शारीरिक न्यूनता से ग्रस्त) कह सकते हैं।”यह कथन है – क्रो एवं क्रो का
- ”प्रतिभाशाली बालक 80 प्रतिशत धैर्य नहीं खोते, 96 प्रतिशत अनुशासित होते हैं तथा 58 प्रतिशत मित्र बनाने की इच्छा रखते हैं।” यह कथन है – विटी का
- एक बालक की वास्तविक आयु 12 वर्ष तथा मानसिक आयु 15 वर्ष है तो उसकी बुद्धिलब्धि होगी – 125
- अधिगम के प्रकार हैं – गामक अधिगम
- प्रारम्भिक कक्षाओं में सीखने की जिन विधियों को महत्व दिया है, वह है – करके सीखना
- हम जो भी नया काम करते हैं उसे आत्मसात कर लेते हैं। यह सम्बन्धित है – आत्मीकरण के नियम से
- जब किसी वस्तु को देखकर या स्पर्श कर ज्ञान प्राप्त किया जाता है तो वह सीखना कहलाता है – प्रत्यक्षात्मक सीखना
- तत्परता के द्वारा हम कार्य सीख लेते हैं – शीघ्र
- अधिगम को प्रभावित करता है, कक्षा का – मनोवैज्ञानिक वातावरण
- मन्द बुद्धि बालकों में अधिगम स्थानान्तरण मन्द गति से होने का कारण माना जाता है – बुद्धि लब्धि एवं स्मृति का अभाव
- अधिगम स्थानान्तरण के लिए शिक्षक द्वारा छात्रोंको प्रशिक्षण देना चाहिए – पृथक रूप से
- शिक्षक को उचित स्थानान्तरण के लिए सर्वप्रथम जाग्रत करना चाहिए – छात्रों के पूर्व ज्ञान को एवं छात्रों के पूर्व अनुभवों को
- ऋणात्मक स्थानान्तरण को रोकने का उपाय है – भ्रमपूर्ण परिस्थितियों पर ध्यान देना
- व्यक्तित्व के निर्माण का महत्वपूर्ण साधन है – सहयोग
- अधिगम या व्यवहार सिद्धान्त के प्रतिपादक है – क्लार्क हल
- अधिगम की सफलता का मुख्य आधार माना जाता है – लक्ष्य प्राप्ति की उत्कृष्ट इच्छा
- शिक्षा मनोविज्ञान में जिन बालकों के व्यवहार का अध्ययन किया जाता है, वह है – मन्द बुद्धि, पिछड़े हुए, एवं समस्यात्मक
- अधिगम का मुख्य चालक कहलाता है – अभिप्रेरणा
- समंजन की प्रक्रिया है – गतिशीलता
- अधिगम का मुख्य नियम है – तत्परता
- सीखने का स्थानान्तरण जब सम्भव होता है जब एक कार्य का सीखना अथवा निष्पादन दूसरे कार्य के सीखने अथवा निष्पादन में लाभ या हानि पहुंचाता है। यह कथन है – डीज का
- स्थानान्तरण के लिए प्रमुख रूप से आवश्यक है – स्थायी अधिगम
- अधिगम स्थानान्तरण के लिए अधिगमकर्ता में योग्यता होनी चाहिए – सही स्थिति चयन की
- स्कूटर चलाने में साइकिल चलाने का पूर्व ज्ञान सहायक सिद्ध होता है। यह उदाहरण है – ध्नात्मक स्थानान्तरण का
- एक छात्र हिन्दी के 6 (सात) के अंक को अंग्रेजी के 6 के अंक के मध्य भ्रमित हो जाता है तथा गणित विषय में अपने जोड़ एवं घटाव गलत कर देता है। यहां किस प्रकार का स्थानान्तरण हैं – ऋणात्मक स्थानान्तरण
- पूर्व ज्ञान का प्रयोग जब किसी अधिगम प्रक्रिया में सहायता या बाधा उत्पन्न नहीं करता है। तब माना जाता है – शून्य स्थानान्तरण
- सीखने की प्रक्रिया के अन्तर्गत स्थानान्तरण मे सहायक तत्व होते हैं – प्राप्त विचार, अनुभव, निपुणता
- निम्नलिखित में कौन-सा सिद्धान्त अधिगम स्थानान्तरण के प्राचीन सिद्धान्त से सम्बन्धित है – मानसिक शक्तियों का सिद्धान्त, औपचारिक मानसिक प्रशिक्षण का सिद्धान्त
- स्थानान्तरण के समरूप तत्वों के सिद्धान्त के प्रणेता है – थार्नडाइक
- स्थानान्तरण के सामान्यीकरण के सिद्धान्त के प्रणेता है – सी. एच. जड ने
- आदर्श एवं मूल्यों को अधिगम स्थानान्तरण प्रक्रिया में किस मनोवैज्ञानिक ने महत्व प्रदान किया – डब्ल्यू. सी. बागले ने
- शिक्षक द्वारा बालक को बताया जाता है कि गणित के ज्ञान में विज्ञान के ज्ञान को किस प्रकार उपयोग किया जाता है तो इस क्रिया को माना जाएगा – स्थानान्तरण का परीक्षण
- ‘सफल स्थानान्तरण प्रक्रिया के लिए विद्यालय में शिक्षक को ज्ञान होना चाहिए – स्थानान्तरण की प्रक्रिया का
- सफल स्थानान्तरण के लिए छात्रों को मिलना चाहिए – उचित प्रशिक्षण
- स्थानान्तरण की श्रेष्ठता के लिए छात्रों के लिए आवश्यक है – सैद्धान्तिक ज्ञान एवं व्यवहारिक ज्ञान
- स्थानान्तरण प्रक्रिया की सफलता के लिए आवश्यक है – समरूप तत्वों का चयन
- विज्ञान विषय में अधिगम मे स्थानान्तरण प्रक्रिया के रूप में बालक द्वारा सर्वाधिक किस विषय के ज्ञान का प्रयोग सम्भव है – गणित
- पर्यावरणीय अध्ययन में सामान्य रूप से अधिगम स्थानान्तरण हेतु किन विषयों का प्रयोग सम्भव है – विज्ञान एवं समाजशास्त्र, इतिहास एवं नागरिक शास्त्र, भूगोल एवं अर्थशास्त्र
- अधिगम स्थानान्तरण की प्रक्रिया सर्वाधिक सम्पन्न होती है – प्रतिभाशाली बालकों में
- स्थानान्तरण की प्रक्रिया की आधुनिक विचारधारा से सम्बन्धित मनोवैज्ञानिक है – थार्नडाइक एवं बाग्ले
- अधिगम स्थानान्तरण के लिए आवश्यक है – सीखने की उपयुक्त विधियां
”व्यक्तिगत एक व्यक्ति के व्यवहार के तरीकों, दृष्टिकोणों, क्षमताओं, योग्यताओं तथा अभिरूचियों का विशिष्टतम संगठन है।” यह कथ है– –मन काबालक का संवेगात्मक व्यवहार प्रभावित होता है – – उपवृक्क ग्रन्थि सेआत्मकेन्द्रित व्यक्ति का व्यक्तित्व होता है – – अन्तर्मुखीसामाजिक अन्तर्क्रिया की दृष्टि से जुंग के अनुसार, व्यक्तित्व के प्रकार हैं – – तीन”व्यक्तित्व गुणों का समन्वित रूप है।” यह कथन है – – वुडवर्थ का”व्यक्तित्व व्यक्ति के भीतर उन मोशारीरिक गुणों का गत्यात्मक संगठन है जो वातावरण के साथ उसके अअद्वितीय समायोजन को निर्धारित करता है।” यह परिभाषा है – –– आलपोर्ट कीव्यक्तित्व को निर्धारित करने वाले कारक हैं – – जैविक या अनुवांशिक कारक– ,– पर्यावरण सन्बन्धी कारकव्यक्तित्व सम्बन्धी गुण प्राप्त होते हैं – – शरीर एवं अन्त:स्रावी ग्रन्थियों से एवं तन्त्रिका तंत्र सेआत्मकेन्द्रित व्यक्ति को किस वर्ग में रखा जाता है – – अन्तर्मुखी‘पर्सोना'(Persona) का अर्थ है – ‘– मुखौटामूल्यों के आधार पर व्यक्तित्व का वर्णन किसने किया है – –– स्प्रेंगरकार्ल युंग के अनुसार व्यक्ति – – अन्तर्मुखी एवं बहिर्मुखी दोनो होता है।हिप्पोक्रेटस के अनुसार व्यक्तित्व के प्रकार हैं – – निराशावादी एवं कफ प्रधानव्यक्तित्व के प्रकारों का विभाजन जिस आधार पर हुआ है, वह है – – शरीर रचना– ,– समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण– ,– मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोणव्यक्तित्व को प्रभावित करने वाले तत्व हैं – – वंशानुक्रम तथा वातावरणव्यक्तित्व, व्यक्ति की सम्पूर्ण प्रतिक्रियाओं एवं प्रतिक्रिया सम्भावनाओं का संस्थान है, जैसाकि उसके परिवेश में जो सामाजिक प्राणी है, उसके द्वारा आंका जाता है। यह व्यक्ति के व्यवहारों का एक समायोजित संकलन है, जो व्यक्ति अपने सामाजिक व्यवस्थापन के लिए करता है। यह कथन है – – डेशील काशैल्डन ने शारीरिक गुणों के आधार पर व्यक्तित्व को किन भागों में बांटा है – – कोमल एवं गोलाकार– ,– गोलाकार व आयाताकार– ,– लम्बाकार कोमलसिसरो का व्यक्तित्व सम्बन्धी मत किस काल को दर्शाता है – – प्राचीन मतअन्तर्मुखी व्यक्तित्व वाले व्यक्ति रुचि रखते हैं – – स्वयं अपने मेंव्यक्तित्व आत्मज्ञान का ही दूसरा नाम है। यह किस दृष्टिकोण से सम्बन्धित है – – दार्शनिक दृष्टिकोणसुविधा की दृष्टि से आगे चलकर मनोवैज्ञानिक ने इस शील गुणों को कितने भागों में विभाजित किया – – चारव्यक्तित्व, व्यक्ति से सम्बन्धित समस्त मनोवैज्ञानिक क्रियाओं एवं दिशाओं का सम्मिलित स्वरूप है।” यह कहा है – – लिण्टन ने
- संगठित व्यक्तित्व की विशेषताएं नहीं है – – असामाजिकता
- व्यक्तित्व को समझने के लिए व्यक्तित्व के शील गुणों का अध्ययन किन मनोवैज्ञानिकों ने किया – – आलपोर्ट तथा कैटिल ने
- व्यक्तित्व मापन की पुरानी विधि है – – ज्योतिष द्वारा
- ‘संगठित व्यक्तित्व’ कहते हैं जिसमें निम्नांकित पक्षों का विकास हुआ हो – – सामाजिक– ,–मानसिक एवं संवेगात्मक पक्ष
- वर्तमान में सर्वोत्तम माने जाने वाला व्यक्तित्व के प्रकारों का वर्गीकरण किसकी देन है – – जुंग की
- ‘परसोना’ शब्द का लैटिन भाषा में अर्थ होता है – – बाहरी रूप रंग या नकली चेहरा
- ”वातावरण के साथ सामान्य एवं स्थायी समायोजन की व्यक्तित्व हैा” इस परिभाषा को लिखा है – –– बोरिंग ने
- व्यक्तित्व मापन के लिए व्यक्ति की सम्पूर्ण सूचनाएं प्राप्त करने की विधि है – – व्यक्ति इतिहास विधि
- व्यक्तित्व की संरचना के अन्तर्गत गत्यात्मकता तथा स्थलाकृतिक पक्षका अध्ययन किस मनोवैज्ञानिक ने किया – – फ्रायड
- ”जिस वस्तु के आधार पर एक व्यक्ति की दूसरे से भिन्नता की जा सके, उसे लक्षण कहते हैं।” यह कथन है – – मर्फी का
- ”व्यक्तित्व को प्रभावित करने में प्राकृतिक (भौतिक) वातावरण की उपेक्षा नहीं की जा सकती।” यह कथन है – – ऑगबर्न व निमकॉफ का
- व्यक्तित्व शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, संवेगात्मक क्रियाओं का एक रूप ह, जो – – गत्यात्मक संगठन है।
- निम्न में से वह जो व्यक्तित्व को प्रभावित नहीं करता है – – देखना
- निम्निलिखत व्यक्तिनिष्ठ परीक्षण है – – प्रश्नावली विधि
- रेटिंग स्केल विधि, निम्न प्रकार का परीक्षण है – – वस्तुनिष्ठ परीक्षण
- रोर्शा परीक्षण मापन करता है – – व्यक्तित्व का
- प्रक्षेपण विधि मापन करती है – – व्यक्तित्व का
- कथा प्रसंग परीक्षण (T.A.T.) को निर्मित किया है – – मुर्रे एवं मॉर्गन ने
- A.T. परीक्षण में प्रयुक्त होने वाले कार्डों की संख्या होती है – – 10+10+10
- रार्शास्याही धब्बा परीक्षण में प्रयुक्त होने वाले कार्डों की संख्या होती है – – 10
- A.T. का निर्माण किया – – लियोपोल्ड बैलक ने
- समायोजन की प्रक्रिया है – – गतिशीलता
- अन्तर्मुखी बालक होता है – – एकान्त में विश्वास रखने वाला
- अत्यधिक वाचाल, प्रसन्नचित्त करने वाले तथा सामाजिक प्रवृत्ति के धनी वाले व्यक्ति का व्यक्तित्व होता है – – बहिर्मुखी
- कौन-सा प्रेरक जन्मजात नहीं है – – आकांक्षा का स्तर
- समायोजन की विधियां है – – उदात्तीकरण– ,– प्रक्षेपण प्रतिगमन
- समायोजन दूषित होता है – – कुण्ठा एवं संघर्ष से
- एक समायोजित व्यक्ति की विशेषता नहीं है – – वैयक्तिक उद्देश्यों का प्रदर्शन
- जब बालक अपनी असफलताओं के दोष किसी और के ऊपर लादने की कोशिश करके अपने तनाव को कम करने का प्रयास करता है, वह विधि कहलाती है – – स्थानापन्न समायोजन
- समायोजन नहीं कर पाने का कारण है – – द्वन्द्व– , तनाव, कुण्ठा
- व्यक्तित्व का कुसमायोजन प्रकट होता है – – झगड़ालू प्रवृत्तियों में– , पलायनवादी प्रवृत्तियों में, आक्रमणकारी के रूप में
- निम्न में से कुसमायोजित बालक है – – परिवेश से अनुकूल बनाने में समर्थहोता है– , असामाजिक, स्वार्थीव सर्वथा दु:खी होता है, साधारण-सी बाधा उत्पन्न होने पर मानसिक सन्तुलन खो देता है।
- छात्रों को अपना अधिकतम विकास करने में सहायता देने के लिए – – परामर्श की आवश्यकता पड़ती है।
- निम्नलिखित में से कौन-सा मानसिकरूप से स्वस्थ व्यक्ति का लक्षण है – – स्व-मूल्यांकन की योग्यता– , समायोजनशालता, आत्मविश्वास
- मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का उद्दश्य है – – मानसिक रोगों का उपचार करना।
- साधारण शब्दों में हम कह सकते हैं कि मानसिक स्वास्थ्य सम्पूर्ण व्यक्तित्व का पूर्ण सामंजस्य के साथ कार्य करना है।” ऐसा कहा गया है – –हैडफील्ड द्वारा
- मानसिक स्वास्थ्य के निन्लिखित पहलू हैं सिवाय – –सांस्कृतिक पहलू
- ”मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का सम्बन्ध मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने और मानसिक असन्तुलन को रोकने से है।” ऐसा कहा गया है – –हैडफील्ड द्वारा
- विद्यालय जाने से पूर्व बच्चों को प्रेरणा कहां से मिलती है – –घर-परिवार से
- शिक्षा प्रक्रिया की सफलता निर्भर करती है – –विद्यार्थी और शिक्षक के मानसिक स्वास्थ्य पर
- मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का निम्न कार्य नहीं है – –संक्रामक रोगों की रोकथान करना
- बालक के मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा करने का दायित्व किसका है – –परिवार– , विद्यालय, समाज का
- मानसिक अस्वस्थता का कारण नहीं है – –निद्रा
- मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का लक्ष्य है – –मानसिक रोगों का उपचार
- बालक के सर्वांगीण विकास में भूमिका होती है – –मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य की
- मानसिक स्वास्थ्य के अभाव में बालक को समझा जाता है – –पिछड़ा व मन्द बुद्धि बालक
- मानसिक स्वास्थ्य के अभाव में बालक का विकास अवरुद्ध होता है – –मानसिक विकास
- मानसिक रूप से स्वस्थ होना आवश्यक है – –शिक्षक– , शिक्षार्थी व अभिभावक के लिए
- मानसिक स्वास्थ्य का प्रमुख सम्बन्ध है – –उचित मानसिक विकास से
- बालकों में मन्द बुद्धि का दोष उत्पन्न होता है – –मानसिक स्वास्थ्य के अभाव में
- लैडेल के अनुसार,मानसिक स्वास्थ्य का आशय है – –वातावरण के साथ समायोजन से
- हैडफील्ड के अनुसार, मानसिक स्वास्थ्य का आशय है – –सम्पूर्ण व्यक्तित्व की समन्वित क्रियाशीलता
- किस विद्वान ने मानसिक स्वास्थ्य का सम्बन्ध सीखे गए व्यवहार से सम्भावित किया है – –स्ट्रैन्ज ने
- स्ट्रैन्ज के अनुसार,मानसिक स्वास्थ्य है – – सीखे गए व्यवहार एवं वास्तविक जीवन के समायोजन से
- काल मैनिंगर के अनुसार,मानसिक स्वास्थ्य है – –सन्तुलित मनोदशा– , सतर्क बुद्धि, प्रसन्न एवं सभ्य व्यवहार
- मानसिक स्वास्थ्य को माना जा सकता है – –व्यवहार की कसौटी एवं समायोजन की कसौटी
- एक बालक के पिता मानसिक रूप से अस्वस्थ थे। इस कारण बालक का व्यवहार भी मानसिक अस्वस्थता से सम्बन्धित था। यह प्रभाव है – –वंशानुक्रम का
- मानसिक स्वास्थ्य का अभाव सामान्य रूप से पाया जाता है – –रोगी व्यक्ति– , शारीरिक अस्वस्थ व्यक्ति व कमजोर व्यक्ति में
- शारीरिक विकलांग बालकों में मानसिक स्वास्थ्य का अभाव पाए जाने का प्रमुख कारण है – –हीन भावना का उत्पन्न होना
- पारिवारिक निर्धनता बालक के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है – –असुरक्षा की भावना उत्पन्न करके– , हीन भावना उत्पन्न करके
- निम्नलिखित में कौन-से तथ्य बालक के मानसिक स्वास्थ्य को कुप्रभावित करते हैं – –परिवार का कठोर अनुशासन– , माता-पिता की उपेक्षा, माता-पिता का अधिक प्यार ये सभी
- निम्नलिखित कौन-सा तथ्य विद्यालयी वातावरण से सम्बन्धित है जो कि बालकों के मानसिक स्वास्थ्य को कुप्रभावित करता है – –विद्यालय का कठोर अनुशासन– , विद्यालय का अनुचित पाठ्यक्रम, दोषपूर्ण शिक्षण विधियां
- एक शिक्षक द्वारा प्राथमिक स्तर पर व्याख्यान प्रणाली का प्रयोग किया जाता है। इसका मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव होगा – –अनुकूल व प्रतिकूल
- प्राथमिक विद्यालय के पाठ्यक्रम में खेल पर कम तथा अन्य विषयोंके शिक्षण पर अधिक ध्यान दिया जाता है। इसका मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव होगा – –प्रतिकूल
- एक शिक्षक का व्यवहार संवेगात्मक अस्थिरता संयुक्त तथा कठोर अनुशासन को मानने वाला है। इससे उसके मानसिक व्यवहारपर प्रभाव होगा – –प्रतिकूल
- निम्नलिखित में कौन-सा तथ्य छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को विकसित करता है – –शिक्षक का सकारात्मक व्यवहार
- समाज का किस स्वरूप से मानसिक स्वास्थ्य कुप्रभावित होता है – –जातीय संघर्ष से एवं धार्मिक संघर्ष से
- मानसिक विकास हेतु बालकोंको प्राथमिक स्तर पर किस प्रकार की शिक्षा मिलनी चाहिए – –प्रजातान्त्रिक मूल्यों की
- मानसिक स्वास्थ्य के विकास में प्रमुख भूमिका होती है – –परिवार– , समाज, एवं विद्यालय की
- बान हुसैन के अनुसार, अभिक्षमता है – –मापन प्रक्रिया
- बार हुसैन के अनुसरा, अभिक्षमता, मापन करती है – –अधिगम की सम्भावित गति का
- बिंघम के अनुसार, अभिक्षमता का आशय है – –विशेषताओं का समुच्चय
- निम्नलिखित में कौन-सी विशेषता अभिक्षमता से सम्बन्धित है – –जन्मजात शक्ति– , अमूर्त शक्ति व अन्तर्निहित शक्ति
- निर्देशन एवं परामर्श से पूर्व बालक के सन्दर्भ में मापन आवश्यक है – –अभिक्षमता का– , रुचि का, योग्यता का
- अभिक्षमता के प्रमुख प्रकार है – – दो
- निम्नलिखित में कौन-सा तथ्य अभिक्षमता परीक्षण से सम्बन्धित है – –सामान्य अभिक्षमता परीक्षण व विशिष्ट अभिक्षमतापरीक्षण
- सामान्यअभिक्षमता परीक्षण के अन्तर्गत मापन किया जाता है – –सभी अभिक्षमताओं का
- विशिष्टअभिक्षमता परीक्षण में मापन किया जाता है – –विशिष्ट अभिक्षमताओं का
- विद्यालयों में दृष्टि एवं श्रवण सम्बन्धी परीक्षणों का प्रमुख उद्देश्य होता है – –बालक की बैठक व्यवस्था निश्चित करना
- शिक्षक परीक्षा अभिक्षमता परीक्षण का उद्देश्य है – –सामान्य अभिक्षमता परीक्षा से
- निम्नलिखित में कौन-सा तथ्य विशिष्ट अभिक्षमता परीक्षणों से सम्बन्धित है – –गायन– , नृत्य, कला
- अभिक्षमता के क्षेत्र में किस विश्वविद्यालय ने सर्वाधिक कार्य किया है – –मिनीसोटा वि.वि.
- वर्तमान समय विभिन्न व्यावसायिक नियुक्तियों से पूर्व अभ्यर्थियों का परीक्षण किया जाता है – –विशिष्ट अभिक्षमता परीक्षण
- ब्रर्स्टन के अनुसर, अभिवृत्ति प्रदर्शित करती है – –मनुष्य की भावनाओं को– , पूर्वाग्रहों को व कल्पित धारणाओं को
- अभिवृत्ति का स्वरूप होता है – –अर्जित
- अभिवृत्ति का निर्माण होता है – –भावनाओं– , पूर्वाग्रहों एवं विचारों से
- अभिवृत्ति हो सकती है – –धनात्मक– , ऋणात्मक, अच्छी एवं बुरी से सभी
- अभिवृत्ति प्रभावित होती है – –वातावरण से– , पूर्वाग्रहों से, कल्पनाओं से
- अभिवृत्ति का स्वरूप सभी व्यक्तियों में होता है – –असमान
- अभिवृत्ति का परिवर्तन करता है – –सम्भव
- अभिवृत्ति के मापन एवं मूल्यांकन में अभाव होता है – –विश्वसनीयता एवं वैधताका
- अभिवृत्ति से व्यक्ति का सर्वाधिक प्रभावित होता है – –व्यवहार
- अभिवृत्ति का मापन किया जा सकता है – –मुक्त प्रतिक्रिया द्वारा– , मुक्त राय द्वारा, आत्मकथ्य द्वारा
- एक बालक प्रत्येक तथ्य को परीक्षण एवं प्रयोग के बाद ही स्वीकारकरता है। उसकी यह अभिवृत्ति मानी जाएगी – –वैज्ञानिक अभिवृत्ति– , सामान्य अभिवृत्ति
- एक व्यक्ति की अभिवृत्ति का पता लगाया जा सकता है – –डायरी लेखन से– , आत्मकथा से
- आदत का आशय है – –सीखा हुआ व्यवहार– , अर्जित व्यवहार
- लैडेल के अनुसार, आदत का प्रारम्भ किया जाता है – –स्वेच्छा से– , जान-बूझकर
- किसी कार्य का स्वाभाविक रूप से सम्पन्न होना पाया जाता है – –आदत के अन्त में
- ”आदत व्यवहार का नाम है।” यह कथन है – –गैरेट का
- आदत के विकास के बाद में किसीमानव का व्यवहार हो जाता है – –यंत्रवत
- सामान्य रूप से आदतें होती हैं – – अच्छी एवं बुरी
- निम्नलिखित में कौन-सी आदतें बैलेन्टाइन के वर्गीकरण से सम्बन्धित हैं – –यान्त्रिक आदतें– , शारीरिक अभिलाषा सम्बन्धी आदतें, नाड़ी मण्डल की आदतें
- रायबर्न के अनुसार, आदतें किसी कार्य के सम्पन्न करने में बचत करतीहैं – –समय एवं मानसिक शक्ति की
- आदत को दूसरा स्वभाव किस विद्वान ने कहा है – –ड्यूक ऑफ वैलिंगटन ने
- ड्यूक ऑफ वैलिंगटन ने आदत को स्वभाव से अधिक शक्तिशाली माना है – –दस गुना
- चरित्र पुंज है – –अच्छी आदतों का
- अच्छी आदतों का सम्बन्ध होता है – –संवेगात्मक स्थिरता से
- ब्लेयर ने आदत को माना है – –व्यक्तित्व का आवरण
- सरसेल के अनुसार, आदत है – –सन्तोष व असन्तोष का चिन्ह
- जेम्स के अनुसार, आदतें हैं – –समाज का विशाल चक्र– ,– समाज की श्रेष्ठ संरक्षिका
- आदत का सर्वाधिक प्रभाव पड़ता है – –व्यक्तित्व पर एवं व्यवहार पर
- बहिर्मुखी व्यक्ति होता है – –उसकी सामाजिक कार्योंमें विशेष रुचि होती है।
- ‘Personality’ शब्द का उद्गम – –लैटिन भाषा से हुआ है।
- ”व्यक्तित्व शब्द का प्रयोग व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक, नैतिक और सामाजिक गुणों के सुसंगठित तथा गत्यात्मक संगठन के लिए किया जाता है, जिसे वह अन्य व्यक्तियों के साथ अपने सामाजिक जीवन के आदान-प्रदान में प्रकट करता है।” यह कथन है – –ड्रेवर
- थार्नडाइक ने व्यक्ति को किस आधार पर बांटा है – –चिन्तन व कल्पना शक्ति के आधार पर
- वेदान्त दर्शन के आधर पर शरीर की रचना किस कोष से नहीं मानी जाती है – –भावना कोष
- सांवेगिक स्थिरता में किस वस्तु के प्रति निर्वेद अधिगम को बढ़ाते हैं – –साहस– ,– जिज्ञासा– ,–भौतिक वस्तु
- रक्त प्रधान व्यक्ति – – प्रसन्नचित्त होते हैं– ,–चंचल होते हैं– ,– क्रियाशील होते हैं।
- बालक किसी कार्य को अपनी इच्छा से करता है, वह है – –सकारात्मक प्रेरणा
- स्वधारणा अभिप्रेरक है – –चेतावनीपूर्ण आन्तरिक धारणा
- गत्यात्मक प्रतिरूप से तात्पर्य है – –व्यक्ति विशेष के प्रेरकों एवं संवेगों का प्रभाव– ,– जो उसके व्यवहार में परिवर्तन उत्पन्न करता है।
- जो प्रेरक वातावरण के सम्पर्क में आने से विकसित होता है, वह है – –अर्जित प्रेरक
- वह कारक जो व्यक्ति को कार्य करने के लिए उत्साह बढ़ाता या घटाता है,– – अभिप्रेरणा
- जन्मजात प्रेरक नहीं है – –आदत
- फ्रॉयड ने सबसे अधिक बल किस मूल प्रवृत्ति पर दिया है – –काम प्रवृत्ति
- किस विद्वान के अनुसार, प्रेरकों का वर्गीकरण ‘जन्मजात’व ‘अर्जित’ है – –मैस्लो
- ”अभिप्रेरणा, अधिगम का सर्वोच्च राजमार्ग है।” यह कथन किसका है – –स्किनर का
- मोटीवेशन शब्द की उत्पत्ति हुई है, लैटिन भाषा के – –मोटम धातु से
- प्रेरणा के स्रोत हैं – –चालक– ,– प्रेरक– , – उद्दीपन
- प्रेरणा का प्रमुख स्थान है – – – सीखने में– ,–लक्ष्य की प्राप्ति में– ,– चरित्र निर्माण में
- प्रेरणा होती है – – सकारात्मक व नकारात्मक
- अभिप्रेरणा द्वारा व्यवहार किया जाता है – – दृढ़
- जो प्रेरक सीखे जाते हैं, उसे कहते हैं – – अर्जित प्रेरक
- बाह्य प्रेरणा को कहते हैं – – नकारात्मक प्रेरणा
- अर्जित प्रेरक के अन्तर्गत आते हैं – – जीवन लक्ष्य व मनोवृत्तियां– ,– मद-व्यसन– ,– आदत की विवशता
- बहिर्मुखी बालक की विशेषता नहीं है – – आक्रामक
- यह वह शक्ति है जिसके द्वारा व्यक्ति अपने सम्बन्ध जानता है कि वह क्या है तथा दूसरे व्यक्ति उसके बारे में क्या सोचते हैं – इस शक्ति का नाम क्या है – – आत्मचेतना
- कैटिल ने व्यक्तित्व के प्राथमिक शील गुण बताए हैं – – बारह
- वातावरण का निम्न में से कौन-सा प्रकार नहीं है – – व्यक्ति व उसका स्वयं का व्यक्तित्व
- व्यक्ति का जन्मजात प्रेरक है – – ऐवरिल का
- ”प्रेरणा, कार्य को आरम्भ करने, जारी रखने और नियमित करने की प्रक्रिया है।” यह कथन किसका है – – गुड का
- मोटिवेशन(Motivation) शब्द की उत्पत्ति किस भाषा के शब्द से हुई है – – लैटिन
- किसकी क्रियाशीलता का सम्बन्ध मनुष्य की पाचन क्रिया से भी होता है – – सर्वकिंवी ग्रन्थि
- आकर्षक व्यक्तित्व हमें सतत अपने जीवन पथ पर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता रहता है – – वातावरण के साथ समायोजन– , आत्मचेतना व सामाजिकता, ध्येय की ओर अग्रसर होना, इनमें से कोई नहीं
- जैविकीय कारकों को किन भागों में बांटा जा सकता है – – शरीर रचना व नलिकाविहीन ग्रन्थियां
- व्यक्तित्व शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, संवेगात्मक क्रियाओं का एक रूप है, जो – – जो गत्यात्मक संगठन है।
- निम्नांकित पद्धति व्यक्तिगत भेद को ध्यान में नहीं रखकर शिक्षण में प्रयुक्त की जाती है – – व्याख्यान पद्धति
- मनोविश्लेषणात्मक दृष्टिकोणके अन्तर्गत – – इदम्– , अहम्, परम अहम्
- जिन तथ्यों का निर्धारण किया जाता है और उनका सार निकालकर संख्यात्मक रूप में व्यक्त करना कहलाता है – – निर्धारण मान
- जब किसी व्यक्ति का अवलोकन निश्चित परिस्थितियों में ही किया जाता है, तो वह कहलाता है – – नियन्त्रित अवलोकन
- बालकों के सीखने में प्रेरणा को किस रूप में उपयोगी माना जाता है – – पुरस्कार एवं दण्ड
- ”सत्य अथवा तथ्यों के दृष्टिकोण से उत्तम प्रतिक्रिया का बल ही बुद्धि है।” बुद्धि की यह परिभाषा है – – थार्नडाइक की
- बालक को दाएं-बाएं का ज्ञान हो जाता है – – 6 वर्ष की आयु में
- बुद्धिलब्धि का सम्बन्ध है – – बुद्धि से
- बुद्धिलब्धि को ज्ञात करने का सूत्र किस मनोवैज्ञानिक ने दिया है – – स्टर्न ने
- सूक्ष्म तथा अमोघ प्रश्नों का चिन्तन तथा मनन द्वारा हल करती है – – अमूर्त बुद्धि
- निम्नांकित में से कौन-सा परीक्षण निष्पादन परीक्षण है – – आकृतिफलक परीक्षण– , भूलभुलैया परीक्षण, एवं वस्तु संयोजन
- सांवेगिक स्थिरता में किस वस्तु के प्रति निर्वेद अधिगम को बढ़ाते हैं – – साहस– , जिज्ञासा, भौतिक वस्तु
- कोई व्यक्ति डॉक्टर बनने की योग्यता रखता है तो कोई व्यक्ति शिक्षक बनने की योग्यता। यह किस कारण से होती है – – अभिरुचि के कारण
- एक बालककी बुद्धिलब्धि 150 है, तो वह बालक है – – प्रतिभाशाली बालक
- बुद्धिलब्धि के लिए विशिष्ट श्रेय किस मनोवैज्ञानिक को जाता है – – स्टर्न को
- सामान्य बुद्धि बालक प्राय: किस अवस्था में बोलना सीख जाता है – – 11 माह
- बुद्धि के सिद्धान्त है – – द्वि-तत्व सिद्धान्त– , असत्तात्मक सिद्धान्त, क्रमिक महत्व का सिद्धान्त
- विकास से अभिप्राय है – – शारीरिक– , मानसिक तथा व्यावहारिक संगठन, वातावरण से सम्बन्धित, जीवन-पर्यन्त सम्भव
- वृद्धि से अभिप्राय है – – शारीरिक एवं व्यावहारिक परिवर्तन– , शारीरिक एवं मानसिक परिपक्वता, निश्चि आयु के पश्चात रुकना
- अमूर्त बुद्धि, सामाजिक बुद्धि या यान्त्रिक बुद्धियह तीनोंबुद्धि के प्रकार किस मनोवैज्ञानिक ने बताए हैं – – थार्नडाइक ने
- ”ऐसी समस्याओं को हल करने की योग्यता जिनमेंज्ञानऔर प्रतीकों को समझने और प्रयोग करने की आवश्यकता हो, जैसे – शब्द, अंक, रेखाचित्र, समीकरण और एकसूत्र, ही बुद्धि है।” यह कथन कहा है – – एच. ई. गैरेट ने
- संक्रियाओं के आधार पर बौद्धिक योग्यता है – – संज्ञान व स्मृति– , अपसारी चि– ఀ– Fतन, अभिसारी चिन्तन
- सामाजिक बुद्धि में थॅर्नडाइक ने क्या माना है – – सद्भाव
- ”निर्णय, सद्भावना, उपकरण, समझने की योग्यता, युक्तियुक्त तर्क और वातावरण में अपने को व्यवस्थित करने की शक्ति ही बुद्धि है।” यह कथन है – – बिने और साइमन का
- द्विखण्ड बुद्धि के सिद्धान्त को प्रतिपादित किया– – स्पीयनमैन ने
- ”बुद्धि कार्य करनेकी एक विधि है।” यह कथन है – – बुडवर्थ का
- ”बुद्धि पहचानने तथा सीखने की शक्ति है।” यह कथन है – – गाल्टन का
- बुद्धि का त्रिआयामी सिद्धान्त किसने दिया था – –– स्पीयरमैन ने
- वैश्लर ने निम्नलिखित में से किन योग्यताओं को सम्मिलित किया है – – वातावरण को प्रभावशाली ढंग से व्यवहार करने की योग्यता– ,– तर्कपूर्ण चि– – न्तन की योग्यता– ,– उद्देश्यपूर्ण कार्य करने की योग्यता
- यदि किसी बालक की शारीरिक आयु 10 वर्ष तथा मानसिक आयु 13 वर्ष है तो उसकी बुद्धिलब्धि क्या होगी – – 130
- ”बुद्धि वह शक्ति है जो हमको समस्याओं का समाधान करने और उद्दश्यों को प्राप्त करने की क्षमता देती है।” यह कथन है – – क्रानबेक का
- बुद्धि के द्विखण्ड सिद्धान्त का प्रतिपादन किया – – स्वीयरमैन ने
- बिने-साइमन बुद्धि परीक्षण का संशोधन करने वाले हैं – – टर्मन
- – TAT में कहानियों का विश्लेषण किस आधार पर किया जाता है – – कहानी की भाषा-शैली कैसी है– ,– कहानी का कथानक क्या है– ,– कहानी में मापन का व्यक्तित्व कैसा है।
- बुद्धि के एकतत्व सिद्धान्त के प्रतिपादक थे – – बिने– ,– टर्मन– ,– स्टर्न
- बुद्धि के बहुकारक सिद्धान्त के प्रतिपादक थे – – थार्नडाइक
- ”सतर्क रहने की शक्ति का नाम बुद्धि है – – स्टाउट का
- अपने को पुस्तकीय ज्ञान के प्रति व्यवस्थित करने की योग्यता कौन-सी बुद्धि कहलाती है – – अमूर्त
- थर्स्टन ने किस विधि का प्रयोग किया – – सांख्यिकीय विधि का
- बैलार्ड ने बुद्धि और ज्ञान में अन्तर नहीं माना है – – बुद्धि एक मानसिक योग्यता है जबकि ज्ञान,–रुचि– – और आदत रूपी साधनों द्वारा किया जाता है।
- थर्स्टन के सिद्धान्त का प्रभाव – – छोटे बालकों,–किशोरावस्था बालकों,– प्रौढ़ों इनमें से किसी पर नहीं पड़ा।
- अन्तर्दृष्टि पर प्रभाव डालने वाले तत्व हैं – – बुद्धि,– अनुभव,– प्रयत्न एवं त्रुटि
- स्वीयरमैन के अनुसर बुद्धि के तत्व हैं – – सामान्य योग्यता एवं विशिष्ट योग्यता
- यदि एक बालक की वास्तविक आयु 10 वर्ष है और उसकी मानसिक आयु 20 वर्ष है तो उसकी बुद्धिलब्धि होगी – – 123
- 25 से 46 बुद्धिलब्धि वाले बालक किस श्रेणी के अन्तर्गत आते हैं – – मूर्ख बालक
- अति प्रतिभावान बालकों का बुद्धिलब्धि मान होता है – – 140 और 169 के मध्य
- टर्मन के अनुसार– , प्रतिभाशाली व्यक्ति की बुद्धिलब्धि कितने से अधिक होती है – – 140 से
- पैटर्न ड्राइंग परीक्षण के प्रतिपादक हैं – – डॉ. भाटिया
- 1927 में सर्वप्रथम किसने सामूहिक बुद्धि परीक्षाओं के सम्बन्ध में सबसे पहले कार्य किया – – जे.मुनरो ने
- बुद्धि को मापने के लिए बुद्धिलब्धि (IQ) का आविष्कार किसने किया – – राइस ने
- सन् 1860 में किसने यह सिद्ध किया था कि व्यक्तियों में उच्च बौद्धिक योग्यताएं उनके वंशानुक्रम का परिणाम होती है – – गाल्टन ने
- बुद्धि और ज्ञान का अन्तर है – – बुद्धि जन्मजात होती है– ,– ज्ञान अर्जित होता है।
- केली के अनुसार बुद्धि होती है – – नौ योग्यताओं का समूह
- बुद्धि के द्वि-तत्व सिद्धान्त के समर्थक हैं – – स्वीयरमैन
- बुद्धि में एक विशेषता होती है – – जन्मजात शक्ति होना।
- ”बुद्धि पहचानने तथा सीखने की शक्ति है।” यह परिभाषा है – – गाल्टन की
- ”एक बालक खिलौने को तोड़कर पुन: जोड़ने का प्रयास करता है।” यह कार्य जिस बुद्धि से सम्बन्धित है, वह है – – मूर्त बुद्धि
- बुद्धि का क्रमिक महत्व का सिद्धान्त किसने दिया है – –CVZ बर्ट ने
- वर्ग घटक या संघ सत्तात्मक सिद्धान्त किसने दिया था – – थॉमसन ने
- बहु मानसिक योग्यता का सिद्धान्त किसने प्रतिपादित किया था – – थर्स्टन ने
- ”बुद्धि लक्ष्य है और ज्ञान उस सीमा तक पहुंचने का केवल एक साधन।” यह कथन किसका है – – रॉस का
- बुद्धि की विशेषताएं कौन-कौन सी हैं – – जन्मजात शक्ति है– ,– अमूर्त चिन्तन की योग्यता– ,– नवीन परिस्थितियों में सामंजस्य
- उत्कृष्ट बालक की बुद्धिलब्धि होती है – – 140-200 तक
- मनोविज्ञान की प्रथम प्रयोगशाला को स्थापित करने का श्रेय प्राप्त है – – वुण्ट को
- बुद्धि परीक्षणों का व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण के रूप में परीक्षण किसने किया था – – बिने व साइमन
- 71-80 बुद्धिलब्धि वाले बालक को कहा जाता है – – अल्प बुद्धि
- मिश्रित वैयक्तिक बुद्धि परीक्षण कहा जाता है – – बिने-साइमन बुद्धि परीक्षण को
- प्रथम बिने साइमन बुद्धि परीक्षण की शुरूआत हुई थी सन् – – 1905 में
- एक व्यक्ति की वास्तविक आयु 20 वर्ष है तथा मानसिक आयु 25 वर्ष है तो उसकी बुद्धिलब्धि होगी – – 125
- क्रियात्मक समूह परीक्षण बैटरी का निर्माण किसने किया – – डॉ. अलेक्जैण्डर ने
- सामूहिक बुद्धि परीक्षणों का जन्म अमेंरिका में कब हुआ – – प्रथम विश्व-युद्ध के समय
- एक बालक की मानसिक आयु (MA) 12 वर्ष है तथा उसकी शारीरिक आयु (CA) 16 वर्ष है, तो उसकी बुद्धि-लब्धि (IQ) होगी – – 75
- ”रुचि किसी प्रवृत्ति का क्रियात्मक रूप है।” यह परिभाषा किसने दी है – – ड्रेवर ने
- रुचियोंका निर्धारण करते हैं – –– आवश्यकता– , प्रतिष्ठा, मूल्य व समझ
- बालकों को रुचि परीक्षण दिया है – –स्ट्रांग तथा कूडर ने
- सीखने की प्रक्रिया सम्पादित होती है – –शिक्षकों से
- प्राणी के व्यवहार को संचालित करने वाली जन्मजात एवं अर्जित प्रवृत्तियों को कहते हैं – –प्रेरक
- प्रेरणा की प्रक्रिया किसकी अनुपस्थिति में क्रियाशील नहीं हो सकती है – –अभिप्रेरक
बालक के विकास की प्रक्रिया कब शुरू होती है – जन्म से पूर्वविकास की प्रक्रिया – जीवन पर्यन्त चलती है।सामान्य रूप से विकास की कितनी अवस्थाएं होती हैं – पांच”वातावरण में सब बाह्य तत्व आ जाते हैं जिन्होंने व्यक्ति को जीवन आरंभ करने के समय से प्रभावित किया है।” यह परिभाषा किसकी है – वुडवर्थ की”वंशानुक्रम व्यक्ति की जन्मजात विशेषताओं का पूर्ण योग है – बी.एन.झा काबंशानुक्रम के निर्धारक होते हैं – जीन्सकौन-सी विशेषता विकास पर लागू नहीं होती है – विकास को स्पष्ट इकाइयों में मापा जा सकता है।शैशव काल का नियत समय है – जन्म से 5-6 वर्ष तकबालक की तीव्र बुद्धि का विकास पर क्या प्रभाव पड़ता है – विकास सामान्य से तीव्र होता है।विकास एक प्रक्रिया है – निरन्तरबाल्यावस्था में मस्तिष्क का विकास हो जाता है : – 90 प्रतिशतअन्तर्दर्शन विधि में बल दिया जाता है – स्वयं के अध्ययन परबालक को आनन्ददायक सरल कहानियों द्वारा नैतिक शिक्षा प्रदान करनी चाहिए। यह कथन है – कोलेसनिक काविकास के सन्दर्भ में मैक्डूगल ने – मूल प्रवृत्यात्मक व्यवहार का विश्लेषण किया।जब हम किसी भी व्यक्ति के विकास के विषय में चिन्तन करते हैं तो हमारा आशय – उसकी कार्यक्षमतासे होता है, उसकी परिपक्वता से होता है,उसकी शक्ति ग्रहण करने से होता है।संवेगात्मक विकास में किस अवस्था में तीव्र परिवर्तन होता है – किशोरावस्थावृद्धि और विकास है – एक-दूसरे के पूरकचारित्रिक विकास का प्रतीक है – उत्तेजनाविकासात्मक पद्धति को कहते हैं – उत्पत्ति मूलक विधिमानसिक विकास के लिए अध्यापक का कार्य है – बालकों को सीखनेके पूरे-पूरे अवसर प्रदान करें। छात्र-छात्राओं के शारीरिक स्वास्थ्य की ओर पूर-पूरा ध्यान दें। व्यक्तिगत भेदों की ओर ध्यान देते हुए उनके लिए समुचित वातावरण की व्यवस्था करें।वाटसन ने नवजात शिशु में मुख्य रूप से किन संवेगों की बात कही है – भय, क्रोध व स्नेहकिशोरावस्था की मुख्य समस्याएं हैं – शारीरिक विकास की समस्याएं, समायोजन की समस्याएं, काम और संवेगात्मक समस्याएंशैशवावस्था है – जन्म से 7 वर्ष तकशिशु का विकास प्रारम्भ होता है – गर्भकाल मेंबाल्यावस्था के लिए पर्याप्त नींद होती है – 8 घण्टेबालिकाओं की लम्बाई की दृष्टि से अधिकतम आयु है – 16 वर्षबालक के विकास को जो घटक प्रेरित नहीं करता है, वह है – वंशानुक्रम या वातावरण दोनो ही नहींकिसके विचार से शैशवावस्था में बालक प्रेम की भावना, काम प्रवृति पर आधारित होती है – फ्रायडरॉस ने विकास ने विकास क्रम के अन्तर्गत किशोरावस्था का काल निर्धारित किया है – 12 से 18 वर्ष तककिशोरावस्था की प्रमुख विशेषता नहीं हैं – मानसिक विकासबालकों के विकास की किस अवस्था को सबसे कठिन काल के रूप में माना जाता है – किशोरावस्थाउत्तर बाल्याकाल का समय कब होता है – 6 से 12 वर्ष तकबाल्यावस्था की प्रमुख विशेषता नहीं है – अन्तर्मुखी व्यक्तित्वसंवेगात्मक विकास में किस अवस्था में तीव्र परिवर्तन होता है – किशोरावस्थाविकासवाद के समर्थक हैं – डिके एवं बुश, गाल्टन,डार्विनविकास का तात्पर्य है – वह प्रक्रिया जिसमें बालक परिपक्वता की ओर बढ़ता है।Age of Puberty कहलाता है – पूर्ण किशोरावस्थाव्यक्ति के स्वाभाविक विकास को कहते है – अभिवृद्धिबालक के विकास की प्रक्रिया एवं विकास की शुरूआत होती है – जन्म से पूर्व”विकास के परिणामस्वरूप व्यक्ति में नवीन विशेषताएं और नवीन योग्यताएं प्रकट होती है।” यह कथन है – हरलॉक काशैक्षिक दृष्टि से बाल विकास की अवस्थाएं है – शैशवावस्था, बाल्यावस्था, किशोरावस्थास्किनर का मानना है कि ”विकास के स्वरूपों में व्यापक वैयक्तिक भिन्नताएं होती हैं। यह विचार विकास के किस सिद्धांत के संदर्भ में हैं – व्यक्तिगत भिन्नता का सिद्धान्तमनोविश्लेषणवाद (Psyco Analysis) के जनक थे – फ्रायड”मुझे बालक दे दीजिए। आप उसे जैसा बनाना चाहते हों, मैं उसे वैसा ही बना दूंगा।” यह कहा था – वाटसन नेसिगमण्ड फ्रायड के अनुसार, निम्न में से मन की तीन स्थितियों हैं – चेतन, अद्धचेतन, अचेतनइड (ID), ईगो (Ego), एवं सुपर इगो (Super Ego) को मानव की संरचना का अभिन्न भाग मानता है – फ्रायडकेवल दो प्रकार की मूल प्रवृत्ति है – मृत्यु एवं जीवन। यह विचार है – फ्रायडरुचियों, मूल प्रवृत्तियों एवं स्वाभाविक संवेगों का स्वस्थ विकास हो सकता है यदि – वातावरण जिसमें वह रहता है, स्वस्थ होमूल प्रवृत्ति की प्रमुख विशेषता पायी जाती है – समस्त प्राणियों में पायी जाती है, यह जन्मजात एवं प्रकृति प्रदत्त होती है।व्यक्ति के स्वाभाविक विकास को कहते हैं – अभिवृद्धिविकास का अभिप्राय है – वह प्रक्रिया जिसमेंबालक परिपक्वता की ओर बढ़ता है।संवेग शरीर की वह जटिल दशा है जिसमें श्वास, नाड़ी तन्त्र, ग्रन्थियां, मानसिक स्थिति, उत्तेजना, अवबोध आदि का अनुभूति पर प्रभाव पड़ता है तथा पेशियां निर्दिष्ट व्यवहार करने लगती हैं। यह कथन है – ग्रीन का”वातावरण में सब बाह्य तत्व आ जाते हैं, जिन्होंने व्यक्ति को आरम्भ करने के समय में प्रभावित किया है।” यह परिभाषा है – बुडवर्थ की”विकास के परिणामस्वरूप व्यक्ति में नवीन विशेषताएं और नवीन योग्यताएं प्रगट होती हैं।” यह कथन है – हरलॉक का
- शैक्षिक दृष्टि से बालक के विकास की अवस्थाएं हैं – शैशवावस्था, बाल्यावस्था, किशोरावस्था
- शैशवावस्था की प्रमुख मनोवैज्ञानिक विशेषता क्या है – मूल प्रवृत्यात्मक व्यवहार
- शैशवावस्था में सीखने की प्रक्रिया का स्वरूप होता है – सीखने की प्रक्रिया में तीव्रता होती है।
- बाल्यावस्था का समय है – 5 से 12 वर्ष तक
- बाल्यावस्था की प्रमुख मनोवैज्ञानिक विशेषता क्या है – सामूहिकता की भावना
- बाल्यावस्था में सामान्यत: बालक का व्यक्तित्व होता है – बहिर्मुखी व्यक्तित्व
- बाल्यावस्था में शिक्षा का स्वरूप होना चाहिए – सामूहिक खेलों एवं रचनात्मक कार्यों के माध्यम से शिक्षा दी जानी चाहिए।
- मानव की वृद्धि एवं विकास की प्रक्रियानिम्न में से किस सिद्धान्त पर आधारित है – विकास की दिशा का सिद्धान्त, परस्पर सम्बन्ध का सिद्धान्त, व्यक्तिगत भिन्नताओं का सिद्धान्त
- ”बालक की अभिवृद्धि जैविकी नियमों के अनुसार होती है।” यह कथन है – हरलॉक का
- निम्न में से कौन-सा कारक व्यक्ति की वृद्धि या विकास को प्रभावित करता है – ग्रीन का
- ”पर्यावरण बाहरी वस्तु है जो हमें प्रभावित करती है।” यह विचार है – रॉस का
- बुद्धि-लब्धि के लिए विशिष्ट श्रेय किस मनोवैज्ञानिक को जाता है – स्टर्न
- शैशवावस्था को जीवन का सर्वाधिक महत्वपूर्ण काल क्यों कहा जाता है – यह अवस्था वह आधार है जिस पर बालक के भावी जीवन का निर्माणहोता है।
- जैसे-जैसे बालक की आयु का विकास होता है वैसे-वैसे उसके सीखने का क्रम निम्नलिखित की ओर चलता है – सूझ-बूझ की ओर
- निम्न में से कौन-सा कथन सही नहीं है – विकास संख्यात्मक
- निम्न में से कौन-सा कथन सही है – वृद्धि, विकास को प्रभावित करती है।
- जिस आयु में बालक की मानसिक योग्यता का लगभग पूर्ण विकास हो जाता है, वह है – 14 वर्ष
- ”मष्तिष्क द्वारा अपनी स्वयं की क्रियाओं का निरीक्षण किया जाता है।” – आत्म-निरीक्षण विधि
- विकासात्मक पद्धति को कहते हैं – उत्पत्तिमूलक विधि
- प्रयोगात्मक विधि में सामना नहीं करना पड़ता है – समस्या का चुनाव
- मानव विकास जिन दो कारकों पर निर्भर करताहै, वह है – जैविक और सामाजिक
- शिक्षक बालकों की पाठ में रुचि उत्पन्न कर सकता है – संवेगों से
- बैयक्तिक भेदों का अध्ययन तथा सामान्यीकरण का अध्ययन किया जाता है – विभेदात्मक विधि में
- एक माता-पिता के अलग-अलग रंग की संतान होती हैं, क्योंकि – जीव कोष के कारण
- बाल विकास को सबसे अधिक प्रेरित करने वाला प्रमुख घटक है – बड़ा भवन
- बाल विकास को प्रेरित करने वाला घटक नहीं है – परिपक्वता
- वातावरण के अन्तर्गत आते हैं – हवा, प्रकाश, जल
- कितने माह का शिशु प्रौढ़ व्यक्ति की मुख मुद्रा को पहचानने लगता है – 4-5 मास का शिशु
- मानसिक विकास के लिए अध्यापक का कार्य है – बालकों को सीखने के पूरे–पूरे अवसर प्रदान करें। छात्र-छात्राओंके शारीरिक स्वास्थ्य की ओर पूरा-पूरा ध्यान दें। व्यक्तिगत भेदों की ओर ध्यान देते हुए उनके लिए समुचित वातावरण की व्यवस्था करें।
- शैशवावस्था होती है – जन्म से 7 वर्ष तक
- वाटसन ने नवजात शिशु में मुख्य रूप में किन संवेगों की बात कही है – भय, क्रोध व स्नेह
- जब माता-पिता के बच्चे उनके विपरीत विशेषताओं वाले विकसित होते हैं, तो यहां पर सिद्धान्त लागू होता है – प्रत्यागमन का
- समानता के नियम के अनुसार माता-पिता जैसे होते हैं, उनकी सन्तान भी होती है – माता-पिता जैसी Bal Vikas Shiksha Shastra Notes
- शिशु का विकास प्रारम्भ होता है – गर्भकाल में
- सामाजिक स्थिति वंशानुक्रमणीय – होती है।
- बालक की मूल शक्तियों का प्रधान कारक है – वंशानुक्रम
- वंश का बुद्धि पर प्रभाव देखनेके लिए सैनिकों के वंशज का अध्ययन किया – गोडार्ड ने
- मूल प्रवृत्ति का प्रतीक होता है – संवेग
- बाल विकास की दृष्टि से सर्वाधिक समस्या का काल होता है – शैशवावस्था
- ”बालक की अभिवृद्धि जैविकीय नियमों के अनुसार होती है।” यह कथन है – क्रोगमैन का
- बालक के विकास को जो घटक प्रेरितनहीं करता है, वह है – वंशानुक्रम या वातावराण् दोनों की नहीं।
- किसके विचार से शैशवावस्था में बालक प्रेम की भावना, काम प्रवृत्ति पर आधारित होता है – फ्रायड
- ”वंशानुक्रम माता-पिता से सन्तान को प्राप्त होने वाले गुणों का नाम है।” यह परिभाषा है – रूथ बैंडिक्ट की
- ”विकास के परिणामस्वरूप व्यक्ति में नवीन विशेषताएं और नवीन योग्यताएं प्रस्फुटित होती है।” यह कथन है – हरलॉक का
- ”वातावरण वह प्रत्येक वस्तु है, जो व्यक्ति के जीन्स के अतिरिक्त प्रत्येक वस्तु को प्रभावित करती है।” यह कथन है – एनास्टासी का
- ”वंशानुक्रम हमें विकसित होने की क्षमता प्रदान करता है।” यह कथन है – लेण्डिस का
- जीवन की प्रत्येक घटना का वंशानुक्रम एवं वातावरण से किस विद्वान ने संबंधित किया है – पेज एवं मैकाइवर ने
- यह मत किसका है –”शिक्षक को अपने कार्य के सफल सम्पादन के लिए व्यावहारिक मनोविज्ञान का ज्ञान होना चाहिए।” – माण्टेसरी का
- वर्तमान समय में विद्यालयों में मैत्री और प्रसन्नता का जो वातावरण दिखता है, उसका कारण है – मनोवैज्ञानिक उपचार
- यह विचार किसका है –”क्योंकि दो बालकों में समान योग्यताएं या समान अनुभव नहीं होते हैं, इसीलिए दो व्यक्तियों में किसी वस्तु या परिस्थिति का समान ज्ञान होने की आशा नहीं की जा सकती।” – हरलॉक का
- लड़कियों में बाह्य परिवर्तन किस अवस्था में होने लगते हैं – किशोरावस्था
- बालक के सामाजिक विकास में सबसे महत्वपूर्ण कारक हैं – वातावरण
- व्यक्तिगत भेद को ज्ञात करने की विधियां हैं – बुद्धि परीक्षण, व्यक्ति इतिहास विधि, रूचि परीक्षण
- बालक से यह कहना ‘घर गन्दा मत करो’ कैसा निर्देश है – निषेधात्मक
- बाल्यावस्था के दो भाग कौन-कौन से हैं – पूर्व बाल्यावस्था तथा उत्तर बाल्यावस्था
- सात वर्ष की आयु में पहुंचते-पहुंचते एक सामान्य बालक का शब्द भण्डार हो जाता है, लगभग – 6000 शब्द
- संकल्प शक्ति के कितने अंग हैं – तीन
- बालक के समाजीकरण का प्राथमिक घटक है – क्रीड़ा स्थल
- बालक के चारित्रिक विकास के स्तर हैं – मूल प्रवृत्यात्मक, पुरस्कार व दण्ड, सामाजिकता
- उत्तर बाल्यकाल का समय कब होता है – 6 से 12 वर्ष तक
- ”बालक की शक्ति का वह अंश जो किसी काम में नहीं आता है, वह खेलों के माध्यम से बाहर निकाल दिया जाता है।” यह तथ्य कौन-सा सिद्धान्त कहता है – अतिरिक्त शक्ति का सिद्धान्त
- भाषा विकास के विभिन्न अंग कौन से हैं – अक्षर ज्ञान, सुनकर भाषा समझना, ध्वनि पैदा करके भाषा बोलना Bal Vikas Shiksha Shastra Notes
- स्टर्न के अनुसार खेल क्या है – खेल एक ऐच्छिक,आत्म-नियन्त्रित क्रिया है।
- संवेगात्मक स्थिरता का लक्षण है – भीरू
- अभिप्रेरणा का महत्व है – रूचि के विकास में, चरित्र निर्माण में, ध्यान केन्द्रित करने में
- भाषा विकास के क्रम में अन्ति क्रम (सोपान) है – भाषा विकास की पूर्णावस्था
- शिक्षा का कार्य है – अर्जित रूचियों को स्वाभाविक बनाना।
- बालक के सामाजिक विकास में सबसे महत्वपूर्ण कारक कौन-सा है – वातावरण
- संवेगात्मक विकास में किस अवस्था में तीव्र परिवर्तन होता है – किशोरावस्था
- बालक का शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और संवेगात्मक विकास किस अवस्था में पूर्णता को प्राप्त होता है – किशोरावस्था
- चरित्र को निश्चित करने वाला महत्वपूर्ण कारक है – मनोरंजन सम्बन्धी कारक
- जिस आयु मेंबालक की मानसिक योग्यता का लगभग पूर्ण विकास हो जाता है, वह है – 14 वर्ष
- शिक्षा की दृष्टि से बाल की महत्वपूर्ण आवश्यकता क्या है – बालकों के साथ मनोवैज्ञानिक व्यवहार की आवश्यकता
- मानव शरीर का आकार किस ग्रन्थि की सक्रियता से बढ़ता है – पिनीयल ग्रन्थि से
- बालक की वृद्धि रूक जाती है – शारीरिक परिपक्वता प्राप्त करने के बाद
- ”दो बालकों में समान मानसिक योग्यताएं नहीं होती।” यह कथन है – हरलॉक का
- ”संवेदना ज्ञान की पहली सीढ़ी है।” यह – मानसिक विकास है।
- तर्क, जिज्ञासा तथा निरीक्षण शक्ति का विकास होता है – 11 वर्ष की आयु में
- “Introduction of Psychology” नामक पुस्तक लिखी है – हिलगार्ड तथा एटकिसन ने
- व्यक्ति के स्वाभाविक विकास को कहते हैं – अभिवृद्धि
- ‘ईमोशन’ शब्द का अर्थ है – उत्तेजित करना, उथल-पुथल पैदा करना, हलचल मचाना।
- ‘संवेग अभिप्रेरकों का भावनात्मक पक्ष है।’ यह कथन है – मैक्डूगल का
- ‘संवेग प्रकृति का हृदय है।’ यह कथन है – मैक्डूगल का
- ‘Physical and Character’ पुस्तक के लेखक हैं – थार्नडाइक
- संवेगहीन व्यक्ति को माना जाता है – पशु
- ”सत्य अथवा तथ्यों के दृष्टिकोण से उत्तम प्रतिक्रिया का बल ही बुद्धि है।” बुद्धि की यह परिभाषा है – थार्नडाइक की
- सांवेगिक स्थिरता में किस वस्तु के प्रति निर्वेद अधिगम को बढ़ाते हैं – साहस, जिज्ञासा, भौतिक वस्तु
- कोई व्यक्ति डॉक्टर बनने की योग्यता रखता है तो कोई व्यक्ति शिक्षक बनने की योग्यता। यह किस कारण से होती है – अभिरूचि के कारण
- बाल्यावस्था में शिक्षा का स्वरूप होना चाहिए – सामूहिक खेलों एवं रचनात्मक कार्यों के माध्यम से शिक्षा दी जानी चाहिए।
- एडोलसेन्स शब्द लैटिन भाषा के एडोलेसियर क्रिया से बना है, जिसका तात्पर्य है – परिपक्वता का बढ़ना
- किशोरावस्था का समय है – 12 से 18 तक
- मानव की वृद्धि एवं विकास की प्रक्रिया निम्न में से किस सिद्धान्त पर आधारित है – विकास की दिशाका सिद्धान्त, परस्पर सम्बन्ध का सिद्धान्त,व्यक्तिगत भिन्नताओं का सिद्धान्त
- बालकों को वंशानुक्रम से प्राप्त होती है – वांछनीय एवं अवांछनीय आदतें
- पर्यावरण का निर्माण हुआ है – परि + आवरण
- बोरिंग के अनुसार जीन्स के अतिरिक्त व्यक्ति को प्रभावित करने वाली वस्तु है – वातावरण
- बुडवर्थ के अनुसार वातावरण का सम्बन्ध है – बाह्य तत्वों से
- किशोर की शिक्षा में किस बात पर विशेष ध्यानाकर्षण की आवश्यकता होती है – यौन शिक्षा पर, पूर्ण व्यावसायिक शिक्षा पर, पर्याप्त मानसिक विकास पर
- किशोरावस्था की विशेषताओं को सर्वोत्तम रूप में व्यक्त करने वाला एक शब्द है – परिवर्तन
- किशोरावस्था प्राप्त हो जाने पर, निम्न में से कौन-सा गुण बालक में नहीं आता है – अधिक समायोजन का
- किशोरावस्था के विकास को परिभाषित करने के लिए बिग एंड हण्ट ने किस शब्द को महत्वपूर्ण माना है – परिवर्तन
- किशोरावस्था में बालकों में सामाजिकता के विकास के सन्दर्भ में कौन-सा कथन असत्य है – वे परिवार के कठोर नियन्त्रण में रहना पसन्द करते हैं।
- निम्न में कौनसा कारक किशोरावस्था में बालक के विकास को प्रभावित करता है – खान-पान,वंशानुक्रम, नियमित दिनचर्या
- ‘दिवास्वप्न’ किस संगठन तन्त्र में विकसित रूप प्राप्त करता है – पलायन
- ”बालक की शक्ति का वह अंश जो किसी काम में नहीं आता है, वह खेलों के माध्यम से बाहर निकाल दिया जाता है।” यह तथ्य कौन-सा सिद्धान्त कहलाता है – अतिरिक्त शक्तिका सिद्धान्त
- निरंकुश राजतन्त्र में समाजीकरण की प्रक्रिया होगी – मन्द
- बालक के समाजीकरण में भूमिका होती है – परिवार की, विद्यालय की, परिवेश की
- जिस बुद्धि का कार्य सूक्ष्य तथा अमूर्त प्रश्नों का चिन्तन तथा मनन द्वारा हल करना है, वह है – अमूर्त बुद्धि
- किशोरावस्था में रुचियां होती है – सामाजिक रूचियां, व्यावसायिक रूचियां, व्यक्तिगत रूचियां
- जिस विधि के द्वारा बालक को आत्म-निर्देशन के माध्य से बुरी आदतों को छुड़वाने का प्रयास किया जाता है, वह विधि है – आत्मनिर्देश विधि
- किस स्थिति में समाजीकरण की प्रक्रिया तीव्र होगी – धर्मनिरपेक्षता
- संवेगात्मक एवं सामाजिक विकास के साथ-साथ चलने की प्रक्रिया को किस विद्वान ने स्वीकार किया है – क्रो एण्ड क्रो
- खेल के मैदान को किस विद्वान ने चरित्र निर्माण का स्थल माना है – स्किनर तथा हैरीमैन ने
- चरित्र को निश्चित करने वाला महत्वपूर्ण कारक है – मनोरंजन संबंधी कारक
- समाजीकरण की प्रक्रिया को प्रभावित करते है – शिक्षा, समाज का स्वरूप, आर्थिक स्थिति
- सामान्य बुद्धि बालक प्राय: किस अवस्था में बोलना सीख जाते हैं – 11 माह
- पोषाहार योजना सम्बन्धित है – मिड डे मील योजना से
- मिड डे मील योजना का प्रमुख संबंध है – केन्द्र से
- मिड डे मील योजना का प्रमुख लक्ष्य है – बालक को पोषण प्रदान करना।
- सामान्य ऊर्जा में पोषण का अर्थ माना जाता है – सन्तुलित भोजन से
- पोषण के प्रमुख पक्ष हैं – सन्तुलित भोजन, नियमित भोजन
- पोषण का विकृत रूप कहलाता है – कुपोषण
- एक शिक्षक को पूर्ण ज्ञान होना चाहिए – पोषण का,पोषण के उपायों का, पोषक तत्वों का
- पोषण का सम्बन्ध होता है – शारीरिक एवं मानसिक विकास
- व्यापक अर्थ में पोषण का सम्बन्ध होता है – सन्तुलित भोजन से, स्वास्थ्यप्रद वातावरण एवं प्रकृति से
- पोषण का अभाव अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है – सामाजिक विकास को
- पोषण के अभाव में बालक का व्यवहार हो जाता है – चिड़चिड़ा, अमर्यादित
- सन्तुलित भोजन का स्वरूप निर्धारित होता है – आयु वर्ग के अनुसार
- अनुपयुक्त भोजन उत्पन्न करता है – कुपोषण
- सन्तुलित भोजन के लिए आवश्यक है – शुद्धता एवं नियमितता
- पोषण में वृद्धि के उपाय होते है – भोजन से सम्बन्धित, पर्यावरण से सम्बन्धित
- पोषण के उपायों में प्रभावशीलता के लिए आवश्यक है – शिक्षक सहयोग, अभिभावक सहयोग, विद्यार्थी सहयोग
- निम्नलिखित में कौन-सी विशेषता पोषण से सम्बन्धित है – सन्तुलित भोजन
- सन्तुलित भोजन के साथ पोषण के लिए आवश्यक है – स्वास्थ्यप्रद वातावरण, उचित व्यायाम, खेलकूद
- वह उपाय जो पोषण पर्यावरणीय उपायों से सम्बन्धित है – पर्याप्त निंद्रा, पर्याप्त व्यायाम, स्वास्थ्यप्रद वातावरण
- सन्तुलित भोजन की तालिका में मांसाहारी एवं शाकाहारी बालकों की स्थिति होती है – समान या असमान दोनों की नहीं।
- 1 से 3 वर्ष के बालक के लिए अन्न होना चाहिए – 150 ग्राम
- 7 से 9 वर्ष के मांसाहारी एवं शाकाहारी बालकों के लिए अन्न होना चाहिए – 250 ग्राम
- 7 से 9 वर्ष के बाल को किस स्वरूप के लिए 75 ग्राम हरी सब्जियों की आवश्यकता होती है – शाकाहारी एवं मांसाहारी दोंनों के लिए
- सन्तुलित भोजन की तालिका में 1 से 9 वर्ष के लिए फलों की तालिका में वजन होता है – एक समान
- सन्तुलित भोजन में पोषक तत्व होते है – प्रोटीन,विटामिन, वसा
- प्रोटीन सामान्य रूप से होती है – दो प्रकार की
- मांस से प्राप्त प्रोटीन को कहते है – जन्तु जन्य प्रोटीन
- कौन-सा स्रोत वनस्पतिजन्य प्रोटीन का है – जौ
- क्वाशियरकर नामक रोग उत्पन्न होता है – प्रोटीन की कमी से
- गन्ने के रस, अंगूर तथा खजूर से प्रमुख रूप से प्राप्त होती है – कार्बोज
- कार्बोज की अधिकता से कौन सा रोग उत्पन्न होता है – मोटापा, बदहजमी
- वसा के प्रमुख स्रोत हैं – वनस्पति तेल व सूखे मेवे
- शरीर को अधिक शक्ति प्रदान करता है – वसा
- खनिज लवणों की कमी से रक्त को नहीं मिल पाता है – हीमोग्लोबिन
- घेंघा नामक रोग उत्पन्न होता है – आयोडिन अथवा खनिज लवण की कमी से
- विटामिन का आविष्कार हुआ था – उन्नीसवीं शताब्दी के आरम्भ में
- विटामिन ए की कमी से बालकों में कौंन-सा रोग होता है – रतौंधी
- विटामिन बी की कमी से होता है – बेरी-बेरी रोग
- पेलाग्रा रोग किस विटामिन की कमी से होता है – बी
- बी काम्पलेक्स कहा जाता है – B1, B2, B2 को
- विटामिन ‘सी’ की कमी से कौन-सा रोग होता है – स्कर्वी
- विटामिन सी का प्रमुख स्त्रोत है – आंवला
- स्त्रियों में मृदुलास्थि रोग किस विटामिन की कमी से होता है – विटामिन डी
- विटामिन डी की कमी से उत्पन्न होता है – सूखा रोग
- सूखा रोग पाया जाता है – बालिकाओं में
- विटामिन ई की कमी से स्त्रियों में सम्भावना होती है – बांझपन, गर्भपात
- विटामिन ई की कमी से उत्पन्न होने वाला रोग है – नपुंसकता
- विटामिन K का प्रमुख स्त्रोत है – केला, गोभी, अण्डा
- विटामिन ‘के’ की सर्वाधिक उपयोगिता होती है – गर्भिणी स्त्री के लिए, स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए
- रक्त का थक्का न जमने का रोग किस विटामिन के अभाव से उत्पन्न होता है – विटामिन ‘के‘
- जल हमारे शरीर में कितने प्रतिशत है – 70 प्रतिशत
- दूषित जल के पीने से उत्पन्न रोग है – पीलिया,डायरिया
- कार्य करने के लिए किस पदार्थ की आवश्यकता होती है – कार्बोज की, कार्बोहाइड्रेट की
- अध्यापक को पोषक के ज्ञान की आवश्यकता होती है – बाल विकास के लिए, छात्रों के रोगों की जानकारी के लिए, अभिभावकों को पोषण का ज्ञान प्रदान कराने के लिए।
- अभिभावकों को पोषण का ज्ञान कराने का सर्वोत्तम अवसर होता है – शिक्षक–अभिभावक गोष्ठी
- पोषण की क्रिया को बाल विकास से सम्बद्ध करने के लिए आवश्यक है – निरन्तरता
- शारीरिक विकास के लिए निरन्तरता के रूप में उपलब्ध होना चाहिए – सन्तुलित भोजन, उचित व्यायाम
- अनिरन्तरता का विकास प्रक्रिया में प्रमुख कारक है – साधनों की अनिरन्तरता
- एक बालक को सन्तुलित भोजन की उपलब्धता सप्ताह में दो दिन होती है। इस अवस्था में उस बालक का विकास होगा – अनियमित
- साधनों की निरन्तरता में बालक विकास की गति को बनाती है – तीव्र
- साधनों की अनिरन्तरता बाल विकास को बनाती है – मंद
- एक बालक में विद्यालय के प्रथम दिन अध्यापक एवं विद्यालय के प्रति अरूचि उत्पन्न हो जाती है तो उसका प्रारम्भिक अनुभव माना जायेगा – दोषपूर्ण
- सर्वोत्तम विकास के लिए प्रारम्भिक अनुभवों का स्वरूप होना चाहिए – सुखद
- एक बालक प्रथम अवसर पर एक विवाह समारोह में जाता है वहां उसको अनेक प्रकार की विसंगतियां दृष्टिगोचर होती हैं तो माना जायेगा कि बालक का सामाजिक विकास होगा – मंद गति से
- शिक्षण कार्य में बालक के प्रारम्भिक अनुभव को उत्तम बनाने का कार्य करने के लिए शिक्षक को प्रयोग करना चाहिए – शिक्षण सूत्रों का
- परवर्ती अनुभवों का सम्बन्ध होता है – परिणाम से
- परवर्ती अनुभव का प्रयोग किया जा सकता है – विकासकी परिस्थिति निर्माण में, विकास मार्ग को प्रशस्त करने में
- बाल केन्द्रित शिक्षा में प्राथमिक स्तर पर सामान्यत: किस विधि का प्रयोग उचित माना जायेगा – खेल विधि
- बाल केन्द्रित शिक्षा का प्रमुख आधार है – बालक का केन्द्र मानना
- बाल केन्द्रित शिक्षा में किसकी भूमिका गौण होती है – शिक्षक की
- बाल केन्द्रित शिक्षा में प्रमुख भूमिका होती है – बालक की
- बाल केन्द्रित शिक्षा का उद्देश्य होता है – बालक की रूचियों का ध्यान, अन्तर्निहित प्रतिभाओं का विकास, गतिविधियों का विकास
- बाल केन्द्रित शिक्षा में शिक्षा प्रदान की जाती है – कविताओं एवं कहानियों के रूप में
- बाल केन्द्रित शिक्षा में प्रमुख स्थान दिया जाता है – गतिविधियों एवं प्रयोगों को
- प्रगतिशील शिक्षा का आधार होता है – वैज्ञानिकता व तकनीकी
- शिक्षा में कम्प्यूटर का प्रयोग माना जाता है – प्रगतिशील शिक्षा
- शिक्षा में प्राथमिक स्तर पर खेलों का प्रयोग माना जाता है – बाल केन्द्रित शिक्षा
- बालकों का वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करना उद्देश्य है – बाल केन्द्रित शिक्षा एवं प्रगतिशील शिक्षा का
- शिक्षण प्रक्रिया में शिक्षण यन्त्रों का प्रयोग किसकी देन माना जाता है – प्रगतिशील शिक्षा की
- समाज में अन्धविश्वास एवं रूढि़वादिता की समाप्ति के लिए आवश्यक है – प्रगतिशील शिक्षा
- शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को प्रभावी बनाना उद्देश्य है – बाल केन्द्रित शिक्षा एवं प्रगतिशील शिक्षा का
- शिक्षण अधिगम सामग्री में प्रोजेक्टर, दूरदर्शन एवं वीडियो टेप का प्रयोग करना प्रमुख रूप से सम्बन्धित है – प्रगतिशील शिक्षा का
- बाल केन्द्रित शिक्षा में एवं प्रगतिशील शिक्षा में पाया जाता है – घनिष्ठ सम्बन्ध
- विशेष बालकों के लिए उनकी शैक्षिक आवश्यकताओं की पूर्ति की जाती हैं – बाल केन्द्रित शिक्षा में
- पाठ्यक्रम विविधता देन है – बाल केन्द्रित शिक्षा एवं प्रगतिशील शिक्षा की
- छात्रों के सर्वांगीण विकास का उद्देश्य निहित है – बाल केन्द्रित शिक्षा एवं प्रगतिशील शिक्षा में
- एक विद्यालय में जाति के आधार पर बालकों को उनकी रूचि एवं योग्यता के आधार पर शिक्षा प्रदान की जाती है। इस शिक्षा को माना जायेगा – बाल केन्द्रित शिक्षा
- बालकों को विद्यालय में किसी जाति या धर्म का भेदभाव किए बिना बालकों को उनकी रूचि एवं योग्यता के अनुसार शिक्षा प्रदान की जाती हैं। उनकी इस शिक्षा को माना जायेगा – आदर्शवादी शिक्षा
- बाल केन्द्रित शिक्षा एवं प्रगतिशील शिक्षा है – एक-दूसरे की पूरक
- बाल केन्द्रित शिक्षा एवं प्रगतिशील शिक्षा के विकास में महत्वपूर्ण योगदान है – मनोविज्ञान, विज्ञान, व तकनीकी का
- एक बालक की लम्बाई 3 फुट थी, दो वर्ष बाद उसकी लम्बाई 4 फुट हो गयी। बालक की लम्बाई में होने वाले परिवर्तन को माना जायेगा – वृद्धि एवं विकास
- स्किनर के अनुसार वृद्धि एवं विकास का उदेश्य है – प्रभावशाली व्यक्तित्व
- परिवर्तन की अवधारणा सम्बन्धित है – वृद्धि एवं विकास से
- वृद्धि एवं विकास का ज्ञान एक शिक्षक के लिए क्यों आवश्यक हैं – सर्वांगीण विकास के लिए
- क्रोगमैन के अनुसार वृद्धि का आशय है – जैविकीय संयमों के अनुसार वृद्धि
- सोरेन्सन के अनुसार वृद्धि सूचक है – धनात्मकता का
- सोरेन्सन के अनुसार वृद्धि मानी जाती है – परिवर्तन का आधार
- गैसेल के अनुसार संकुचित दृष्टिकोण है – वृद्धि का
- गैसेल के अनुसार व्यापक दृष्टिकोण है – विकास का
- निम्नलिखित में कौन-सा तथ्य गैसेल के विकास के अवलोकन रूपों से सम्बन्धित है – शरीर रचनात्मक,शरीर क्रिया विज्ञानात्मक, व्यवहारात्मक
- ”विकास के अनुरूप व्यक्ति में नवीन योग्यताएं एवं विशेषताएं प्रकट होती है” यह कथन है –श्रीमती हरलॉक का
- सोरेन्स के अनुसार विकास है – परिपक्वता एवं कार्य सुधार की प्रक्रिया
- अभिवृद्धि वृद्धि की प्रक्रिया चलती है – गर्भावस्था से लेकर प्रौढ़ावस्था तक
- अभिवृद्धि में होने वाले परिवर्तन होते है – शारीरिक
- अभिवृद्धि में होने वाले परिवर्तन होते है – मात्रात्मक
- अभिवृद्धि में होने वाले परिवर्तन होते है – रचनात्मक
- अभिवृद्धि का क्रममानव को ले जाता है – वृद्धावस्था की ओर
- अभिवृद्धि कहलाती है – कोशिकीय वृद्धि
- अभिवृद्धि एक धारणा है – संकीर्ण
- अभिवृद्धि का सम्बन्ध है – शारीरिक परिवर्तन से
- अभिवृद्धि एक है – साधारण प्रक्रिया
- अभिवृद्धि की प्रक्रिया सम्भव है – मापन
- विकास की प्रक्रिया चलती है – गर्भावस्था से बाल्यावस्था तक
- विकास की प्रक्रिया में होने वाले परिवर्तन माने जाते है – शारीरिक, मानसिक, सामाजिक
- वृद्धिएवं विकास के सन्दर्भ में सत्य है – अभिवृद्धि बाद में होती है व विकास पहले होता है।
- विकास की प्रक्रिया में होने वाले परिवर्तन माने जाते है – गुणात्मक
- विकास की प्रक्रिया के परिणाम हो सकते हैं – रचनात्मक एवं विध्वंसात्मक
- विकास का प्रमुख सम्बन्ध है – परिपक्वता से
- विकास के क्षेत्र को माना जाता है – व्यापक प्रक्रिया से
- विकास की प्रक्रिया को कठिनाई के आधार पर स्वीकार किया जाता है – जटिल प्रक्रिया के रूप में
- विकास की प्रक्रिया में समावेश होता है – वृद्धि एवं परिपक्वता का
- विकास की प्रक्रिया का सम्भव है – भविष्यवाणी करना
- क्रो एण्ड क्रो के अनुसार संवेग है – मापात्मक अनुभव
- ‘संवेग पुनर्जागरण की प्रक्रिया है।” यह कथन है – क्रो एण्ड क्रो का
- ‘संवेग शरीर की जटिल दशा है।’ यह कथन है – जेम्स ड्रेकर का
- संवेगों में मानव को अनुभूतियां होती है – सुखद व दु:खद
- संवेगों की उत्पत्ति होती है – परिस्थिति एवं मूलप्रवृत्ति के आधार पर
- मैक्डूगल के अनुसार संवेग होते हैं – चौदह
- भारतीय विद्वानों के अनुसार संवेगों के प्रकार है – दो
- भारतीय विद्वानों के अनुसार संवेग है – रागात्मक संवेग
- सम्मान, भक्ति और श्रद्धा सम्बन्धित है – रागात्मक संवेग से
- गर्व, अभिमान एवं अधिकार सम्बन्धित है – द्वेषात्मक संवेग से
- क्रोध का सम्बन्ध किस मूल प्रवृत्ति से होता है – युयुत्सा
- निवृत्ति मूल प्रवृत्ति के आधार पर कौन-सा संवेग उत्पन्न होता है – घृणा
- आत्म अभिमान संवेग किस मूल प्रवृत्ति के कारण उत्पन्न होता है – आत्म गौरव
- कामुकता की स्थिति के लिए कौन-सी प्रवृत्तिउत्तरदायी है – काम प्रवृत्ति
- सन्तान की कामना नाम मूल प्रवृत्ति कौन-सा संवेग उत्पन्न करती है – वात्सल्य
- दीनता मानव में किस संवेग को उत्पन्न करती है – आत्महीनता
- भोजन की तलाश किस संवेग से सम्बन्धित है – भूख से
- रचना धर्मिता मूल प्रवृत्ति से कौन-सा संवेग विकसित होता है – कृतिभाव
- मैक्डूगल के अनुसार हास्य है – संवेग एवं मूल प्रवृत्ति
- संग्रहणमूल प्रवृत्ति का सम्बन्ध है – अधिकार से
- थकान के कारण बालक के व्यवहार में कौन-सा संवेग उदय हो सकता है – क्रोध
- संवेगात्मक अस्थिरता पायी जाती है – कमजोर बालकों में, बीमार बालकों में
- संवेगात्मक स्थिरता किन बालकों में देखी जातीहै – प्रतिभाशाली बालकों में
- किस परिवार में बालक में संवेगात्मक स्थिरता उत्पन्न होगी – सुरक्षित परिवार में, प्रतिभाशाली परिवारमें,सुखद परिवार में
- माता-पिता का किस प्रकार का व्यवहार बालकों के लिए संवेगात्मक स्थिरता प्रदान करता है – सकारात्मक
- किस सामाजिक स्थिति के बालकों में संवेगात्मक अस्थिरता पायी जाती है – निम्न आर्थिक स्थिति में,गरीब एवं दलित परिवारों में
- एक बालक को अपने किये जाने वाले कार्यों पर समाज में प्रशंसा एवं पुरस्कार प्राप्त नहीं होता है, तो उसका व्यवहार होगा – संवेगात्मक अस्थिरता से परिपूर्ण
- बालकों में संवेगात्मक स्थिरता उत्पन्न करने के लिए शिक्षक को करना चाहिए – सकारात्मक व्यवहार एवं आत्मीय व्यवहार
- संवेगात्मक स्थिरता उत्पन्न करने के लिए विद्यालय में छात्रोंको प्रदान करना चाहिए – पुरस्कार, प्रेरणा,प्रशंसा
- विद्यालय में संवेगात्मक स्थिरता प्रदान करने के लिए किस प्रकार की गतिविधियां आयोजित करनी चाहिए – पिकनिक, खेल, पर्यटन
- संवेगात्मक अस्थिरता प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती है – शारीरिक विकास को, मानसिक विकास को, सामाजिक विकास को
- आश्चर्य संवेग का उदय एक बालक में किस मूल प्रवृत्ति के कारण होता है – जिज्ञासा
- ”समाजीकरण एवं व्यक्तिकरण एक ही प्रक्रिया के पहलू है।” यह कथन है – मैकाइवर का
- ”विद्यालय समाज का लघु रूप है।” यह कथन है – ड्यूवी का
- ”वह प्रक्रिया जिससे बालक अपने समाज में स्वीकृत तरीकों को सीखता है तथा अपने व्यक्तित्व का अंग बनाता है।” उसे कहते हैं – सामाजिक परिवर्तन
- बालक के समाजीकरण की सबसे महत्वपूर्ण संस्था है – परिवार
- बालक के समाजीकरण के लिए प्राथमिक व्यक्ति कहा गया है – माता को
- बालक के समाजीकरण चक्र का अन्तिम पड़ाव बिन्दु अपने में समाहित करता है – पास-पड़ोस को
- ”समाजीकरण एक प्रकार का सीखना है, जो सीखने वाले को सामाजिक कार्य करने के योग्य बनाता है।”यह कथन है – जॉनसन का
- समाजीकरणका आशय रॉस के अनुसार बालकों में कार्य करने की इच्छा विकसित करना है – समूह में अथवा एक साथ कार्य करने में
- समाजीकरण को सामाजिक अनुकूलन की प्रक्रिया किस विद्वान ने स्वीकार की है – रॉस ने
- समाजीकरण के माध्यम से व्यक्ति समाज का कैसा सदस्य बनता है – मान्य, कुशल, सहयोगी
- एक बालक की समाजीकरण की प्रक्रिया किस परिस्थिति में उचित होगी – पोषण में
- एक परिवार में बालकों के साथ सहानुभूति एवं प्रेम व्यवहार किया जाता है, परन्तु बालक के कार्यों को सामाजिक स्वीकृति नहीं मिल पाती है, ऐसी स्थिति में होगा – मन्द समाजीकरण
- विद्यालय में समाजीकरण की प्रक्रिया के लिए बालकों को कार्यदिया जाना चाहिए – सामूहिक कार्य
- समाजीकरण में प्रमुख रूप से सहयोगी तथ्य है – सहकारिता
- निम्नलिखित में किस देश के बालक में समाजीकरण की प्रक्रिया पायी जाती है – भारतीय बालकों में
- बालकों की सामाजिक कार्य में भाग लेने की अनुमति मिलने पर समाजीकरणकी प्रक्रिया होती है – तीव्र
- जिस समाज में सामाजिक विज्ञान शिक्षण को प्रथम विषय के रूप में मान्यता प्रदान की जाती है उस समाज में बालक की समाजीकरणकी प्रक्रिया होती है – तीव्र व सर्वोत्तम
- समाजीकरण की प्रक्रिया में प्रमुख रूप से योगदान होता है – पुरस्कार का एवं दण्ड का
- विद्यालय में किस प्रकार का शिक्षण समाजीकरण का मार्ग प्रशस्त करता है – गतिविधि आधारित शिक्षण,खेल आधारित शिक्षण समूह शिक्षण
- समाजीकरण की प्रक्रिया में योगदान होता है – मूल प्रवृत्ति एवं जन्मजात प्रवृत्यिों का, बालक के व्यक्तित्व का
- मानव जैविकीय प्राणी से सामाजिक प्राणी कब बन जाता है – सामाजिक अन्त:क्रिया द्वारा,समाजीकरण द्वारा, सामाजिक सम्पर्क द्वारा
- सामान्य रूप से बालकों द्वारा अमर्यादित आचरणों को नहीं सीखा जाता है – सामाजिक अस्वीकृति
- परिवार को झूले की संज्ञा किसने दी – गोल्डस्टीन ने
- बालक की परिवार में समाजीकरण की प्रक्रिया सम्भव होती है – अनुकरण द्वारा
- विद्यालय में बालक के समाजीकरण की प्रक्रिया होती है – आपसी अन्त:क्रिया द्वारा, विभिन्न संस्कृतियों के मेल द्वारा, विभिन्न सभ्यताओं के मेल द्वारा
- गोल्डस्टीन के अनुसार समाजीकरण की प्रक्रियासम्भव होती है – सामाजिक विश्वास एवं सामाजिक उत्तरदायित्व द्वारा
- किस समाज में रहने वाले बालक का समाजीकरण तीव्र गति से सम्भव होता है – शिक्षितसमाज में
- खेलकूद में समाजीकरण की प्रक्रिया की तीव्रताका आधार होता है – अन्त:क्रिया, प्रेम एवं सहानुभूति,सहयोग
- जिस समाज में रीति-रिवाज एवं परम्पराओंका अभाव पाया जाता है – मन्द
- निम्नलिखितमें से किस स्थान के बालक की समाजीकरण प्रक्रिया तीव्र गति से होगी – मथुरा
- शिक्षा मनोविज्ञान का मुख्य सम्बन्ध सिखने से है l यह कथन है – सॉरे एवं टेलफ़ोर्ड का
- मनोविज्ञान की आधारशिला किस पुस्तक में राखी गई- मनोविज्ञान के सिद्धान्त
- अमेरिका में प्रकाशित ‘Principal of Psychology’ के लेखक हैं – विलियम जेम्स
- शिक्षा मनोविज्ञान का वर्तमान स्वरुप है – व्यापक
- गौरिसन के अनुसार शिक्षा मनोविज्ञान का उदेश्य है – व्यवहार का ज्ञान
- कुप्पूस्वामी के अनुसार शिक्षा मनोविज्ञान के सिद्धांन्तों का सर्वोत्तम प्रयोग होता है – उत्तम शिक्षा एवं उत्तमअधिगम में
- शिक्षा मनोविज्ञान का प्रमुख उदेश्य कोलेसनिक के अनुसार है – शिक्षा की समस्याओं का समाधानकरना
- कैली के अनुसार शिक्षा मनोविज्ञान के उदेश्य हैं – नौ
- स्किनर के अनुसार शिक्षा मनोविज्ञान के सामान्य उदेश्य हैं – बाल विकास
- स्किनर के अनुसार शिक्षा मनोविज्ञान के विशिष्ट उदेश्य हैं – बालकों के वांछनीय व्यवहार के अनुरूपशिक्षा के स्तर एवं उदेश्यों को निचित करने मेंसहायता करना
- शिक्षा मनोविज्ञान के क्षेत्र में वह सभी ज्ञान और विधियां सम्मिलित हैं जो सिखने की प्रक्रिया से अधिक अच्छी प्रकार समझने में सहायक हैं l यह कथन है – ली का
- गेट्स के अनुसार शिक्षा मनोविज्ञान की सिमा है – अस्थिर एवं परिवर्तनशील
- “अवस्था विशेष के आधार पर ही हमें किसी को बालक युवा या वृद्ध कहना चाहिए l ” यह कथन है – फ़्रॉबेलका
- हरबर्ट के अनुसार शिक्षा सिद्धान्तों का आधार होना चाहिए – मनोविज्ञानिक
- माण्टेसरी के अनुसार एक अध्यापक द्वारा उस स्थिति में ही शिक्षण कार्य प्रभावी ढंग से किया जा सकता है, जब उसे ज्ञान होगा – मनोविज्ञान के प्रयोगात्मक स्वरुपका
- वर्तमान समय में शिक्षा मनोविज्ञान की आवश्यकता है – बाल केन्द्रित शिक्षा
- वर्तमान समय में शिक्षा मनोविज्ञान की आवश्यकता समझी जाती है – सर्वांगीण विकास में
- शिक्षा मनोविज्ञान का प्रमुख लाभ है – शिक्षकशिक्षार्थी मधुर संम्बन्ध
- कक्षा में छात्रों को उनकी विभिन्नताओं के आधार पर पहचानने के लिए शिक्षक को ज्ञान होना चाहिए – शिक्षा मनोविज्ञान का
- समय सरणी में गणित, विज्ञान या कठिन विषय के कालांश पहले क्यों रखे जाते हैं – मनोविज्ञान केआधार पर
- सफल एवं प्रभावशाली शिक्षा अधिगम प्रक्रिया के लिए आवश्यक है– शिक्षण अधिगम सामग्री का प्रयोगएवं शिक्षा मनोविज्ञान के सिद्धान्तों का प्रयोग
- निर्देशन एवं परामर्श में किस विषय का अधिक उपयोग किया जाता है – शिक्षा मनोविज्ञान का
- छात्रों की योग्यता एवं रूचि के आधार पर पठ्यक्रम निर्माण में योगदान होता है – शिक्षा मनोविज्ञान का
- बुद्धि परीक्षण विषय है – शिक्षा मनोविज्ञान का
- शिक्षक मनोविज्ञान के ज्ञान द्वारा बालकों की – बुद्धितथा रुचियों की जानकारी करके शिक्षा देता है , प्रकृति को जान कर शिक्षा देता है और आर्थिकस्तिथि तथा पारिवारिक स्थिति की जानकारीलेकर शिक्षा देता है
- मनोविज्ञान का शिक्षा के क्षेत्र में योगदान है – अबशिक्षा बाल केन्द्रित हो गई है , शिक्षक बालकों सेनिकट का संम्पर्क स्थापित करने का प्रयास करताहै और शिक्षक को छात्रों की आवश्यकता का ज्ञानहो सकता है l
- शिक्षा मनोविज्ञान एक विज्ञान है – शैक्षिक सिद्धान्तोंका
- शिक्षा मनोविज्ञान की उत्पति मानी जाती है – वर्ष1900
- ‘मनोविज्ञान’ शब्द के समांनान्तर अंग्रेजी भाषा के शब्द ‘साइकोलॉजी’ की व्युत्पत्ति किस भाषा से हुई है – ग्रीक भाषा से
- शिक्षा मनोविज्ञान का सम्बन्ध है – शिक्षा से , दर्शन सेऔर मनोविज्ञान से
- शिक्षा का शाब्दिक अर्थ है – पालन–पोषण करना , सामने लाना और नेत्रित्व देना
- “मनोविज्ञान वातावरण के सम्पर्क में आने वाले व्यक्तियों के क्रियाकलापों का विज्ञान है l ” यह कथन है – वुडवर्थ का
- “मनोविज्ञान शिक्षा का आधारभूत विज्ञान है ” यह कथन है – स्किनर का
- शिक्षा मनोविज्ञान की विषय – सामग्री कस सम्बन्ध है – सीखना
- शिक्षा मनोविज्ञान में जिन बालकों के व्यवहार का अध्ययन किया जाता है, वह है – मंध बुद्धि, पिछड़ेहुए और समस्यात्मक
- सिखने की प्रक्रिया के अन्तर्गत शिक्षा मनोविज्ञान अध्ययन करता है – प्रेरणा व् पुर्नबलन के प्रभाव काअध्ययन
- “मनोविज्ञान मन का विज्ञान है l ” यह कथन है – अरस्तू का
- “शिक्षा मनोविज्ञान, अधियापको की तैयारी की आधारशिला है l यह कथन है – स्किनर का
- आंकड़ों का व्यवस्थापन करने हेतु संकलित आंकड़ों के संबन्ध में निम्नलिखित कार्य करना होता है – वर्गीकरण , सारणीयन, आलेखी निरूपण
- मनोविज्ञान शिक्षा के क्षेत्र में सहायता देता है तथा बताता है – शिक्षा के उदेश्य सम्भावित हैं अथवानहीं
- शिक्षा मनोविज्ञान का अध्ययन अध्यापक को इसलिए करना चाहिए , ताकि – इसकी सहायता से अपनेशिक्षण को अधिक प्रभावशाली बना सके
- “मनोविज्ञान व्यवहार का शुद्ध विज्ञान है ल” इस परिभाषा के प्रतिपादक हैं– ई० वाटसन
- अचेतन मन का अध्ययन किया जाता है– मनोविश्लेषण विधियों द्वारा
- मनोविश्लेषणात्मक प्रणाली के जन्मदाता हैं – सिंगमण्ड फ्राइड
- वर्तमान समय में मनोविज्ञान है– व्यवहार का विज्ञान
- शिक्षा मनोविज्ञान का विषय क्षेत्र नहीं है – शैक्षिकमूल्यांकन
- ‘शिक्षा किसी निश्चित स्थान पर प्राप्त की जाती है l ‘ यह कथन शिक्षा के किस अर्थ में प्रयुक्त होता है – शिक्षाका संकुचित अर्थ
- ‘साइकी’ का अर्थ है – मानवीय आत्मा या मन
- मनोविज्ञान को व्यवहार का विज्ञानं कहा– वाटसन ने
- “मनोविज्ञान मन का वैज्ञानिक अध्ययन है , जिसके अन्तर्गत न केवल बौद्धिक, अपितु संवेगात्मक अनुभूतियों , उत्प्रेरक शक्तियों तथा कार्य या व्यवहार भी सम्मिलित है l ” यह कथन है – सी० डब्ल्यू०वैलेंटाइन का
- मनोविज्ञान – आत्मा का विज्ञान है ,मन का विज्ञानहै , चेतना का विज्ञान है
- मानव मन को प्रभावित करने वाला करक है – व्यक्तिकी रुचियाँ , अभिक्षमताए अभियोग्यताए व्वातावरण है
- मनोविज्ञान को शुद्ध विज्ञान मन है – जेम्स ड्रेवर ने
- शिक्षा मनोविज्ञान – मनोविज्ञान का एक अंग है
- शिक्षा मनोविज्ञान की पकृति से सम्बन्ध में कहा जा सकता है – यह सर्वव्यापी है तो सार्वभौमिक भी
- मनोविज्ञान के अंतर्गत – मानव का अध्ययन कियाजाता है
- शिक्षा मनोविज्ञान के अध्य्यन के उदेश्य है – विद्यार्थियों द्वारा किसी बात के सीखे जाने कोप्रभावित करना
- मनोविज्ञान शिक्षा के क्षेत्र में सहायता देता है तथा स्पष्ट करता है – शिक्षा के उदेश्य की सम्भावना
- शिक्षक को शिक्षा मनोविज्ञान के अध्य्यन की प्रत्यक्ष आवश्यकता नहीं है – शारीरिक सुडौलता
- मनोइयाँ का सम्बन्ध प्राणिमात्र के व्यवहार के अध्ययन से है, जबकि शिक्षा मनोविज्ञान का क्षेत्र – मानवीयव्यवहार के अध्य्यन से है , शैक्षिक संस्थितियों मेंमानव व्यवहार से है
- शिक्षण प्रक्रिया के अंग है – शिक्षण के उदेश्य , शिक्षण को सार्थक बनाने वाले ज्ञानानुभव , शिक्षणका मूल्यांकन
- शिक्षा मनोविज्ञान का मूल उद्श्य है – विद्यार्थियोंयोग्यताओं एवं क्षमताओं को ध्यान में रखते हुएउनके द्वारा किसी बात को सीखे जाने से संबन्धितबात को प्रभावित करता है
- शिक्षा का सम्बन्ध है – शिक्षा के उदेश्य से और कक्षापर्यावरण व् वातावरण से
- शिक्षा मनोविज्ञान का क्षेत्र है – व्यापक
- शिक्षा मनोविज्ञान के सामान्य उदेश्य है – बालक केव्यक्तित्व का विकास , शिक्षण कार्य में सहायताऔर शिक्षण विधियों में सुधार
- “अवस्ता विशेष के अनुभवों के आधार पर ही हमें किसी को बालक, युवा एवं वृद्ध कहना चाहिए l ” यह कथन है – फ्रोबेल का
- शिक्षा मनोविज्ञान का प्रमुख उदेश्य है – बाल केन्द्रितशिक्षा का विकास